कवर्धा

महात्मा गांधी नरेगा योजना से हुए सैगोना नहर निर्माण कार्य से 120 हेक्टेयर कृषि भूमि में सिचाई सुविधाओं का होगा विस्तार

महात्मा गांधी नरेगा योजना से हुए सैगोना नहर निर्माण कार्य से 120 हेक्टेयर कृषि भूमि में सिचाई सुविधाओं का होगा विस्तार

नहर निर्माण कार्य से स्थानीय ग्रामीणों को मिला 6 हजार से अधिक मानव दिवस का रोजगार और साथ में मिला सिंचाई का नया साधन

कवर्धा, 16 फरवरी 2022। ग्रामीण क्षेत्र में हर हाथ को काम देना, ग्रामीणों को सुविधा संपन्न बनाना, ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे परिसंपत्तियों का निर्माण करना जो आजीविका का साधन बने तथा प्राकृतिक संसाधनों का बेहतर उपयोग करते हुए भू-जल स्तर में वृद्धि कर जल संरक्षण करना महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना का मुख्य उद्देश्य है।
ग्रामीण क्षेत्र में कृषि कार्य के लिए पानी की उपलब्धता महत्वपूर्ण विषय रहा है। ऐसे ही 12 वर्षों के लंबे इंतजार की कहानी है पंडरिया विकासखंड के ग्रामपंचायत मुनमुना के आश्रित ग्राम सैगोना में महात्मा गांधी नरेगा योजना से हुए फीडर नाली निर्माण तथा नहर नाली एवं स्टॉप डेम के मरम्मत कार्य की। कुल 2030 मीटर के नहर में 1300 सौ मीटर नई नहर का निर्माण किया जा रहा है, वही 1730 मीटर पुराने अनुपयोगी नहरे का मरम्मत कार्य हो रहा है जो ग्राम सैगोना स्टॉप डेम से केशली खार तक है। यह कार्य महात्मा गांधी नरेगा योजना अंतर्गत 19.89 लाख रुपए की लागत से स्वीकृत किया गया जिसमें 12 लाख रुपए मजदूरी पर एवं 7 लाख 89 हजार रुपए सामग्री पर व्यय किया जाना प्रस्तावित है। चालू वित्त वर्ष में स्वीकृत इस कार्य से सैगोना, बिरकोना एवं केशली ग्राम पंचायत के ग्रामीण लाभान्वित होंगे। इस कार्य से 120 हेक्टेयर कृषि भूमि क्षेत्र में सिंचाई सुविधाओं का विस्तार होगा जिससे 650 से अधिक की जनसंख्या को कृषिक कार्यो के लिए पानी की सुविधा मिलेगा।

मुनमुना गांव के बहुत से ग्रामीणों ने अपने भूमि को स्वेच्छा से दान कर नहर बनाने के लिए सहयोग दिया

मुनमुना गांव में नहर बनाने के लिए ग्रामीणों की वर्षों पुरानी मांग रही है जिससे कि पानी की उपलब्धता हो सके। महात्मा गांधी नरेगा योजना से जब यह कार्य चिन्हांकित किया गया तो इसके फायदे देख कर ग्रामीणों ने खुशी-खुशी नहर के प्रस्तावित स्थल की जमीन उपलब्ध करा दिये जिससे नया नहर निर्माण हो सका। इस कार्य के हो जाने से ग्रामीणों के चेहरे में खुशी देखी जा सकती है। गांव के डेढ़ सौ से अधिक किसान सिंचाई का साधन मिलने से बहुत खुश हैं। ग्रामीण सोनराज मरावी, सिद्ध राम मरकाम, शेर सिंह नेताम, गुलाब मरकाम, सुशीलाबाई, रामलाल, गीता राम, सुखनंदन, भंवर सिंह एवं रामप्रसाद सहित अन्य ग्रामीणों ने अपना सहयोग देकर इस कार्य को पूरा कराया।

सैगोना नहर निर्माण से 120 हेक्टेयर क्षेत्र में होगा सिंचाई सुविधाओं का विस्तार : सीईओ जिला पंचायत

जल संवर्धन की दिशा में हो रहे इस कार्य पर जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री संदीप कुमार अग्रवाल ने बताया कि इस कार्य को जल संसाधन विभाग के द्वारा संपादित कराया जा रहा है। ग्रामीणों की बहुत पुरानी मांग थी कि सैगोना स्टॉप डेम के पास तालाब को भरने वाले नहर का मरम्मत किया जाए, क्योंकि यह गाद भर जाने से अनुपयोगी हो गया था जिसके कारण तालाब नही भर पाता था। ग्रामीणों की इन्हीं परेशानियों एवं मांग को देखते हुए पुराने नहर का मरम्मत कार्य के साथ 1300 मीटर नए नहर निर्माण का काम स्वीकृत किया गया। कुल 2030 मीटर के इस कार्य से सैगोना एवं उससे लगे गांव में 120 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में सिंचाई सुविधाओं का विस्तार होगा जिसके कारण अब स्थानीय ग्रामीण आसानी से खरीफ फसल ले सकेंगे।
उन्होनें बताया कि शासन की मंशा अनुरूप ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई सुविधाओं का विस्तार करने के लिए बड़े पैमाने पर जल संवर्द्धन का कार्य कराए जा रहे हैं। इस कार्य को पूरा करने के लिए ग्रामीणों ने स्वेच्छा से नहर निर्माण में आने वाले भूमि को शासन के पक्ष में दान दिए है, जिसके कारण यह कार्य हो पाया तथा इससे पता चलता है कि कार्य से ग्रामीणों का कितना जुड़ाव है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के माध्यम से हो रहे इस कार्य के द्वारा सिंचाई क्षेत्र में वृद्धि होगा साथ ही ग्रामीणों को रोजगार का अवसर भी मिल रहा है। एक और जहां जल संवर्धन की दिशा में ऐसे कार्य ग्रामीणों के लिए उपयोगी सिद्ध होते हैं तो दूसरी और ग्रामीणों को कृषि कार्य के लिए पानी की उपलब्धता सहज रूप से होगा जो इसके पहले नहीं हुआ करता था।

जल संवर्धन के साथ सिंचाई के लिए बने नहर ग्रामीणों के लिए होंगे बहुत उपयोगी : कार्यपालन अभियंता

ग्राम सैगोना में फीडर नाली निर्माण तथा नहर नाली एवं स्टॉप डेम का मरम्मत कार्य के संबंध में कार्यपालन अभियंता जल संसाधन विभाग संभाग कवर्धा श्री दिनेश भगोरिया ने बताया कि यह कार्य महात्मा गांधी नरेगा योजना से स्वीकृत किया गया है। सैगोना स्टॉप डेम से नहर के माध्यम से निस्तारी तलाब को भरा जाएगा तथा निस्तारी तालाब से पुनः नहर के माध्यम से पानी ग्रामीणों के भूमि तक लाया जा रहा है। 13 सौ मीटर लंबा नया नहर बन जाने से सैगोना एवं उसके आसपास क्षेत्र के 650 से अधिक ग्रामीणों को फायदा होगा। श्री भगोरिया ने बताया कि यह कार्य नवंबर 2021 से प्रारंभ हुआ है तथा वर्तमान में कार्य पूर्णता पर है। इस कार्य से स्थानीय ग्रामीणों को बड़ी मात्रा में रोजगार का अवसर मिला है। अब तक 6099 मानव दिवस रोजगार का सृजन किया गया है तथा 10 लाख 93 हजार रुपए का मजदूरी भुगतान ग्रामीणों को प्राप्त हुआ है। कार्य में लगभग 245 ग्रामीण परिवारों ने कार्य किया है।

चना फसल में बीमारियों के रोकथाम में ट्राइकोडर्मा म्यूटेंट जी-2 हो रहा है वरदान साबित

कवर्धा, । कबीरधाम जिले में 92 हजार हेक्टेयर से ज्यादा रकबे में चने की खेती की जाती है और रबी में सबसे ज्यादा रकबा चने का है, लेकिन अगर उत्पादकता की बात की जाए तो आज भी चने की उत्पादकता 1230 किलोग्राम, हेक्टेयर ही है। जिसका प्रमुख कारण रोग एवं कीट व्याधि है। कीट व्याधियों के प्रबंधन के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र, कवर्धा द्वारा लगातार प्रक्षेत्र परीक्षण एवं अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन के माध्यम से उन्नत कृषि तकनीक को प्रसारित करने का कार्य कर रहे एवं जिले में फसलों के कीट व्याधि के रोकथाम हेतु प्रक्षेत्र भ्रमण कर उचित प्रबंधन सलाह कृषकों को बताया जाता है। चना की बीमारी की समस्या से फसल प्रारंभिक अवस्था से लेकर पकने की अवस्था में देखा जाता है। जिसको किसानों द्वारा चने का उकठा बीमारी से जानते है। जबकि चने में यह चने की प्रमुख बीमारी कालर राट के कारण चने बुआई के प्रारंभिक अवस्था से पैच में मरना शुरूआत होता है। जिसके कारण चने में 20-30 प्रतिशत तक नुकसान पाया गया है। उपरोक्त बीमारी के प्रबंध के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा ट्राइकोडर्मा जैव फफूंद नाशक का उपयोग के लिए किसानों के सलाह दी जाती है, जिसको सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिले है।
कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञनिक डॉ. बी.पी. त्रिपाठी ने बताया कि गत वर्ष भाभा एटॉमिक रिसर्च सेन्टर मुम्बई के पौध रोग वैज्ञानिक डॉ. पी. के. मुखर्जी एवं इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के पौध रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. ए.के. कोटस्थाने के तकनीकी मार्गदर्शन में कृषि विज्ञान केन्द्र, कवर्धा द्वारा भाभा एटॉमिक रिसर्च सेन्टर मुम्बई द्वारा तैयार किया गया। उन्होंने बताया कि ट्राइकोडर्मा म्यूटेन्ट कल्चर को कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा किसानों के खेतो में परीक्षण के लिए उपयोग किया गया था कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा इस वर्ष कुल 75 एकड़ में म्यूटेन्ट कल्चर जी-2 को बीज उपचार के माध्यमो से चने में कॉलर रॉट प्रबंधन के लिए ट्रायल कन्डक्ट किया गया था जिसके परिणाम बहुत ही सकारात्मक एवं कृषकों द्वारा बताया गया कि ट्राइकोडर्मा से उपचारित खेत में चने की बीमारी बहुत कम देखने को मिला है। अपेक्षा अनुपचारित फसल में चनें की बीमारी बहुत ज्यादा मात्रा में देखने को मिल रही है। हम कल्चर के उपयोग से बहुत खुश है।

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