कवर्धादुर्ग

हरियाली का दायरा बढ़ाने के लिए मिशन मोड पर करें काम

अपर मुख्य सचिव श्री आरपी मंडल एवं पीसीसीएफ श्री राकेश चतुर्वेदी ने संभागीय मुख्यालय में हुई बैठक में दिए निर्देश

रिज टू वैली के कांसेप्ट पर नरवा कार्यक्रम के अंतर्गत करें नालों का जीर्णोद्धार

कवर्धा, / संभाग में हरियाली का दायरा बढ़ाने के लिए प्रशासनिक अमला मिशन मोड पर कार्य करेगा, इसके अंतर्गत चिन्हांकित भूमि पर व्यापक स्तर पर पौधरोपण किया जाएगा। यह निर्देश अपर मुख्य सचिव श्री आरपी मंडल एवं पीसीसीएफ श्री राकेश चतुर्वेदी ने अधिकारियों को दिये। अपर मुख्य सचिव ने कहा कि केवल पौधे लगाना हमारा लक्ष्य नहीं है अपितु उन्हें सहेजना सबसे अहम है। जहां कहीं भी फेंसिंग वाले परिसर है वहां व्यापक पौधरोपण करें। हर गौठान में कम से कम 400 पौधे लगाएं। पौधे फलदार एवं छायादार होने चाहिए। अपर मुख्य सचिव ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने इस संबंध में वन विभाग की बैठक ली जिसमें उन्होंने व्यापक पौधरोपण एवं उन्हें सहेजने के कार्य को युद्धस्तर पर करने के निर्देश दिये हैं। मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप मिशन मोड पर यह कार्य करें, केवल पौधरोपण तक ही यह सीमित नहीं रहेगा, पौधों की बढ़त और सुरक्षा को भी लगातार ट्रैक करना होगा। बैठक में कमिश्नर श्री दिलीप वासनीकर ने नरवा, गरवा, घुरूवा, बाड़ी कार्यक्रम अंतर्गत संभाग में अब तक हुई प्रगति की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि नरवा कार्यक्रम के अंतर्गत संभाग में 130 नालों का चयन किया गया है तथा इनमें से 146 करोड़ रुपए की लागत से 2431 कार्यों को स्वीकृति दी जा चुकी है। गरवा कार्यक्रम के अंतर्गत 396 ग्राम पंचायतों में 59 करोड़ रुपए की लागत से 397 कार्यों को स्वीकृति दी जा चुकी है। घुरवा कार्यक्रम के अंतर्गत 11 हजार 666 कार्यों को स्वीकृति दी जा चुकी है एवं बाड़ी कार्यक्रम के अंतर्गत चयनित 496 ग्राम पंचायतों में 4416 नवीन बाड़ियों का चयन किया गया है। इसी प्रकार 13842 चयनित पुरानी बाड़ियों में 1280 का कार्य पूर्ण कराया जा चुका है। चारागाह विकास हेतु चयनित 389 ग्राम पंचायतों में 364 कार्यों की स्वीकृति दी जा चुकी है। बैठक में सीसीएफ श्री बड़गैया, दुर्ग कलेक्टर श्री अंकित आनंद, राजनांदगांव कलेक्टर श्री जयप्रकाश मौर्य, कवर्धा कलेक्टर श्री अवनीश शरण, बालोद कलेक्टर श्रीमती रानू साहू एवं बेमेतरा कलेक्टर श्री महादेव कावड़े सहित अन्य संभाग स्तरीय एवं जिला स्तरीय अधिकारी मौजूद थे।

कैंपा मद से करें प्लांटेशन-

अपर मुख्य सचिव ने कहा कि अधिकारी राजस्व भूमि पर भी कैंपा मद से प्लांटेशन करा सकते हैं। इसके लिए कलेक्टर से एनओसी लेनी होगी और यह भी उल्लेखित करना होगा कि भूमि हमेशा वन भूमि की तरह रहेगी। उन्होंने नदियों के किनारे व्यापक प्लांटेशन पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण के लिए, अच्छे पर्यावरण के लिए अब बहुत आवश्यक है कि जनांदोलन की तरह पौधे लगाये जाएं, उन्हें सहेजा जाए। उन्होंने कहा कि जो लोग पौधे लगाना चाहते हैं। उनके लिए वन विभाग घर तक पौधा पहुंचाएगा। पीसीसीएफ ने बताया कि दिल्ली में अरावली-यमुना प्रोजेक्ट अंतर्गत पौधरोपण का शानदार कार्यक्रम हुआ है। इसी तरह हरियाली का व्यापक कार्यक्रम यहां भी होगा। अपर मुख्य सचिव ने कहा कि सभी कलेक्टर 25 जुलाई तक पौधरोपण का कार्य पूरा कर लें और उन्हें दिये गए लक्ष्य पूरा कर लें। पौधरोपण के समय वन विभाग का दक्ष अमला मौजूद रहे ताकि सही तरह से पौधरोपण किया जा सके और पौधों की लंबी उम्र सुनिश्चित की जा सके।
नरवा कार्यक्रम मतलब जलसंरक्षण और सिंचाई-
अपर मुख्य सचिव ने कहा कि नरवा कार्यक्रम जल संरक्षण और सिंचाई सुविधा को बढ़ाने के दृष्टकोण से किया जा रहा सबसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। इसके लिए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाएं, तकनीकी समिति इसका अनुमोदन करेगी और फिर काम तुरंत आरंभ करा दिया जाए। उन्होंने कहा कि इसके लिए हमने रिज टू वैली का कांसेप्ट दिया है। केवल नालों पर ही नहीं, उनकी ट्रिब्यूटरी पर भी काम करना है। इसके लिए इसरो के टूल भुवन का सहयोग लिया जा रहा है। नालों के रिचार्ज का डीपीआर बेहतर बने, इसके लिए राज्य स्तरीय तकनीकी दल जिलों का भ्रमण कर उन्हें पूरी तरह से तकनीकी सहायता प्रदान करेगा। श्री मंडल ने कहा कि जगह का चुनाव तकनीकी दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण होना चाहिए और यह भी देखना चाहिए कि इससे कितनी बड़ी आबादी को लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि सही जगहों पर स्ट्रक्चर बनाये जाएं तो पानी का संग्रहण भी हो सकेगा तथा नालों में भी प्रवाह देर तक बना रहेगा। इस संबंध में प्रेजेंटेशन भी अधिकारियों को दिखाया गया।

गौठान में वेक्सीनेशन करा दें आरंभ

अपर मुख्य सचिव ने कहा कि गौठानों में आने वाले पशुओं का टीकाकरण प्रारंभ कर दिया जाए। साथ ही इस संबंध में दिए गए अन्य निर्देशों पर भी कार्य किया जाए ताकि पशुधन की अपार संभावनाओं का दोहन किया जा सके। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में रोका छेका जैसी रस्में हैं इनके मायने बहुत गहरे हैं। इसके लिए भी कार्यक्रम किए जाएं।

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