देश

अमेरिकी प्रतिबंध के चलते ईरान से तेल नहीं ले पाएगा भारत

अमेरिका द्वारा ईरान पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण भारत अब तेहरान से तेल नहीं खरीद पाएगा. इससे भारत पर व्यापक असर पड़ेगा. इस प्रतिबंध के पालन में मसूद अजहर भी एक फैक्टर है. इसके अलावा भारत को क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं?

    
Persischer Golf Ölplattform (Reuters/R. Homavandi)

अमेरिका ने ईरान पर लगाए गए प्रतिबंधों से आठ देशों को छूट दी थी. लेकिन अब वॉशिंगटन ने इस रियायत को आगे ना बढ़ाने का फैसला किया है. साल 2015 में ईरान के साथ हुए एक ऐतिहासिक परमाणु समझौते से अमेरिका बाहर निकल गया. इसके चलते अमेरिका ने नवंबर, 2018 में ईरान द्वारा किए जाने वाले तेल निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया. अमेरिका का कहना था कि वो ईरान के तेल निर्यात को शून्य पर लेकर आना चाहता है जिससे तेहरान को आर्थिक नुकसान हो. हालांकि ईरान के आठ बड़े आयातकों चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, ताइवान, तुर्की, इटली और ग्रीस को तेल आयात छह महीने तक जारी रखने की छूट दी. यह छूट 1 मई, 2019 तक थी. अमेरिका ने कहा कि ये देश बड़ी मात्रा में ईरान से तेल खरीदते हैं इसलिए इन्हें एक साथ तेल खरीदने से मना नहीं किया जा सकता लेकिन छह महीने में इनको भी ईरान से तेल आयात शून्य करना होगा. अमेरिका का कहना है कि ईरान को बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम बंद करना होगा. साथ ही सीरिया, यमन और दूसरे देशों के उग्रवादी समूहों को सहायता देनी भी बंद करनी होगी.

ईरान का कहना है कि अमेरिका ऐसा कर अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन कर रहा है. वो इन प्रतिबंधों को नहीं मानेंगे और ये अमेरिका के साथ एक आर्थिक युद्ध जैसा होगा.

भारत पर इसका क्या असर पड़ेगा

भारत की तेल की कुल जरुरतों का लगभग 80 प्रतिशत आयात के जरिए पूरा होता है. इसके अलावा प्राकृतिक गैस की 40 प्रतिशत जरूरतें भी आयात से पूरी होती हैं. वित्त वर्ष 2018-19 में भारत ने ईरान से 2.35 करोड़ टन तेल आयात किया था जो भारत के कुल तेल आयात 22.04 करोड़ टन का लगभग दस प्रतिशत था. 2018-19 में ईरान भारत का चौथा सबसे बड़ा तेल निर्यातक था. इसके अलावा ईरान तेल व्यापार में भारत को बहुत सारी सहूलियतें देता है. ईरान भारत को 60 डे क्रेडिट यानी 60 दिन तक भुगतान करने की छूट, मुफ्त बीमा और मुफ्त डिलीवरी की सुविधा देता है. भारत ईरान को पूरा भुगतान अंतररराष्ट्रीय मुद्रा डॉलर में ना करके रुपये में करता है. इसलिए भारत को ईरान से व्यापार के लिए विदेशी मुद्रा जुटाने की आवश्यकता नहीं होती.

Iranischer Präsident Rohani mit indischem Ministerpräsidenten Modiईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी.

इराक और सऊदी अरब भारत के लिए सबसे अधिक तेल निर्यात करते हैं. ये भारत के कुल तेल आयात का लगभग 38 प्रतिशत है. संयुक्त अरब अमीरात और नाइजीरिया करीब 16.7 फीसदी तेल की आपूर्ति करते हैं. अमेरिका ने सबसे ज्यादा तेल भंडार वाले देश वेनुजुएला पर भी प्रतिबंध लगाए हुए हैं. तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक और रूस ने भी अपने तेल उत्पादन में कमी करने का निश्चय किया था. ऐसे में आने वाले दिनों में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं.

ईरान से तेल की सप्लाई बंद होने से भारत का चालू वित्तीय घाटा भी बढ़ सकता है. तेल उत्पादन में कमी होने से कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी होगी. रेटिंग एजेंसी केयर के मुताबिक अगर कच्चे तेल की कीमतों में 10 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होती है तो ये एक साल में भारतीय जीडीपी को 0.4-0.5 प्रतिशत तक का नुकसान पहुंचा सकता है. कच्चे तेल की कीमतों में एक डॉलर की बढ़ोत्तरी होने पर भारत का आयात बिल करीब 10,500 करोड़ रुपये बढ़ जाएगा. ऐसे में अब कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी का भारत की अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ सकता है.

आयात बिल बढ़ने का दबाव रुपये की कीमत पर भी पड़ता है. अधिक आयात के लिए अधिक विदेशी मुद्रा चाहिए होती है. कच्चे तेल की कीमतें बढ़ेंगी तो भारत को ज्यादा विदेशी मुद्रा की आवश्यकता होगी. यह पैसा या तो विदेशी मुद्रा भंडार से निकलेगा या फिर महंगी कीमत पर अंतरराष्ट्रीय बाजार से भारत को डॉलर खरीदने होंगे.

कच्चे तेल की कीमतों का असर पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर भी पड़ेगा. इनकी कीमतों को सामान्य रखने के लिए सरकार को टैक्स में कटौती करनी पड़ सकती है. 2018 में पेट्रोल, डीजल की कीमतें ज्यादा बढ़ जाने पर केंद्र और राज्यों ने पांच रुपये तक टैक्स की कमी की थी. वित्त वर्ष 2018 में सरकार को 5.53 लाख करोड़ की कमाई हुई. इसमें 2.85 लाख करोड़ रुपये तो बस तेल उत्पादों पर लगने वाले टैक्सों से ही आया. राज्यों को करीब 2.08 लाख करोड़ की आय तेल उत्पादों के टैक्स से हुई. ऐसे में अगर सरकार को टैक्स कम करना पड़ा तो सरकार की कमाई को नुकसान होगा. इसके अलावा सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 32,989 करोड़ की एलपीजी सब्सिडी और 4,489 करोड़ की केरोसीन सब्सिडी का प्रावधान रखा है. लेकिन अगर कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी हुई तो ये खर्च भी बढ़ेगा.

अमेरिका की कूटनीति और व्यापार

ईरान पर प्रतिंबध लगाने के बाद अमेरिका भारत पर कूटनीतिक दबाव के साथ व्यापारिक संबंध भी बढ़ाने की कोशिश में है. अमेरिका ने मसूद अजहर को वैश्विक आंतकी घोषित करवाने के लिए संयुक्त राष्ट्र में भारत की मदद की है. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक अमेरिका ने भारत से कहा है कि वो अब द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के लिए ईरान पर लगाए प्रतिबंधों का पालन कर वॉशिंगटन की मदद करे. साथ ही अमेरिका ने कहा है कि इन प्रतिबंधों का पालन ना करने वाले देशों को आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा.

USA Trump und Modi im Weißen Haus (Reuters/K. Lamarque)नरेंद्र मोदी और डॉनल्ड ट्रंप.

इसके अलावा भारत ने दो साल पहले अक्टूबर 2017 में पहली बार अमेरिका से तेल आयात किया था. भारत ने 73 करोड़ डॉलर कीमत चुका कर 1.18 करोड़ बैरल तेल आयात किया था. इसके अलावा हर साल 80 लाख मीट्रिक टन लिक्विड नेचुरल गैस (LNG) के आयात का समझौता भी हुआ, 30 मार्च 2018 को अमेरिका से पहला एलएनजी कार्गो भारत पहुंचा. वित्त वर्ष 2018-19 में अमेरिका भारत के दस प्रमुख तेल निर्यातकों में आ गया. भारत के तेल आयात में करीब 3 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ अमेरिका 9वें स्थान पर आ गया है. ऐसे में ईरान द्वारा की जा रही तेल आपूर्ति के विकल्प के रूप में अमेरिका अपना व्यापार बढ़ाने की कोशिश करेगा.

अब ईरान क्या करेगा

समंदर के रास्ते होने वाली दुनिया की एक तिहाई तेल आपूर्ति स्वेज नहर होती है. नहर का एक मुहाना फारस की खाड़ी और ओमान की खाड़ी के बीच पड़ता है. यह संकरा समुद्री रास्ता मध्य पूर्व के तेल उत्पादकों को प्रशांत एशिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका और दुनिया के बाकी हिस्सों से जोड़ता है. सबसे संकरे बिंदु की चौड़ाई 21 नॉटिकल मील है. लेकिन दोनों दिशाओं में शिपिंग लेन सिर्फ दो मील चौड़ी है. इसके पश्चिमी तट पर ईरान है तो दक्षिणी तट पर संयुक्त अरब अमीरात और ओमान का एक बाहरी इलाका है. ईरान के रिवोल्युशनरी गार्ड्स ने धमकी दी है कि अगर अमेरिका के कहने पर दुनिया भर के देशों ने ईरान से तेल खरीदना बंद किया तो वह फारस की खाड़ी से होने वाले तेल की आपूर्ति को रोक देगा. इससे दुनिया के एक बड़े हिस्से की तेल आपूर्ति बाधित हो सकती है. पिछले दिनों अमेरिका ने ईरान के रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स को आतंकी समूह घोषित किया था. अब देखना होगा कि ईरान अपने रणनैतिक हितों और खस्ताहाल अर्थव्यवस्था की रक्षा के लिए कैसे जवाबी कदम उठाता है.

Related Articles

3 Comments

  1. Aby całkowicie rozwiać wątpliwości, możesz dowiedzieć się, czy twój mąż zdradza cię w prawdziwym życiu na kilka sposobów i ocenić, jakie masz konkretne dowody, zanim zaczniesz podejrzewać, że druga osoba zdradza.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button