कवर्धा

भोरमदेव अभ्यारण्य कवर्धा में बर्ड सर्वे का समापन

। ज्ञात हो कि भोरमदेव बर्ड सर्वे का शुभारंभ  को हुआ था जिसमें लगभग 90 प्रतिभागियों एवं बर्ड गाइड ने भाग लिया।

 

भोरमदेव अभ्यारण्य कवर्धा में बर्ड सर्वे का समापन

भोरमदेव बर्ड सर्वे का समापन को हुआ। ज्ञात हो कि भोरमदेव बर्ड सर्वे का शुभारंभ  को हुआ था जिसमें लगभग 90 प्रतिभागियों एवं बर्ड गाइड ने भाग लिया। प्रतिभागी छत्तीसगढ़ राज्य के कवर्धा बिलासपुर रायपुर बस्तर आज जिलों से उपस्थित हुए थे। इसके साथ-साथ प्रतिभागी मध्य प्रदेश आंध्र प्रदेश महाराष्ट्र उड़ीसा आदि राज्यों से भी आए थे। बर्ड गाइड हेतु गिधवा परसाद एवं जंगल सफारी में कार्यरत पक्षी विशेषज्ञों को बुलाया गया था जिन्हें प्रत्येक ग्रुप में एक या दो की संख्या में शामिल किया गया था। बर्ड सर्वे का आयोजन इस हेतु किया गया था कि हमें ज्ञात हो सके की संपूर्ण अभ्यारण क्षेत्र में वर्तमान में कितनी प्रजातियां की पक्षियों निवासरत हैं। इस हेतु उपस्थित हुए प्रतिभागियों को कल 15 ग्रुपों में विभाजित किया गया था साथ ही पूरे अभयारण्य में 30 गस्ती मार्गो का चयन किया गया था। 15 मार्गो में सुबह एवं 15 मार्गो में शाम को बर्ड सर्वे का कार्य किया गया। सर्वे की रिकॉर्डिंग इलेक्ट्रॉनिक एवं तैयार किए गए चेकलिस्ट में भी की गई। चेकलिस्ट में अभयारण्य में पूर्व से ज्ञात 195 पक्षी प्रजातियों की सूची दी गई थी जैसे-जैसे पक्षी प्रेमियों द्वारा नई स्पीशीज देखी जाती गई वैसे-वैसे उनके द्वारा चेक लिस्ट में टीक किया गया साथ ही यदि कोई प्रजाति चेक लिस्ट में नहीं थी तो उसका नाम लिस्ट के अंत में जोड़ा गया। पक्षी प्रेमियों को प्रकृति की गोद में अभयारण्य क्षेत्र में बने वनरक्षक आवास या पेट्रोलिंग कैंपों में ही रोका गया जिससे कि उन्हें वन कर्मियों के जीवन के विषय में भी अनुभव प्राप्त हो सके।
समापन समारोह में पक्षी प्रेमियों से अनुभव साझा करने हेतु भी कहा गया जिसमें सभी पशु प्रेमी संतुष्ट नजर आए एवं उनके द्वारा अभयारण्य द्वारा आयोजित की गई बर्ड सर्वे कार्यक्रम की सराहना की गई एवं भविष्य में भी ऐसे आयोजन करते रहने हेतु निवेदन किया गया।
बर्ड सर्वे के दौरान संकलित किए गए डाटा का विस्तृत अध्ययन अभी नहीं किया गया है किंतु फौरी तौर पर देखा गया है कि लगभग 143 विभिन्न पक्षी की प्रजातियां की रिपोर्टिंग प्रतिभागियों द्वारा की गई है।
वर्तमान में यह संख्या कम प्रतीत हो रही है क्योंकि जूलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया के द्वारा अभ्यारण में 195 प्रजातियों की रिपोर्टिंग की गई थी। ऐसा इसलिए प्रतीत हो रहा है क्योंकि यह सर्वे ग्रीष्म ऋतु में आयोजित किया गया है और ग्रीष्म ऋतु में माइग्रेटरी बर्ड्स नहीं देखे जा सकते यह 143 प्रजातियां अभयारण्य की स्थाई प्रजातियां हैं माइग्रेटरी बर्ड्स जो अभ्यारण में आते हैं उनके अध्ययन हेतु भी भविष्य में शीत ऋतु में पुनः बर्ड सर्वे का आयोजन किया जाए तो बेहतर होगा जिससे यह आंकड़ा 250 के आसपास पहुंचने की संभावना है।

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