कवर्धा

प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय जी से कृषक एवं सामाजिक कार्यकर्ता बृजलाल अग्रवाल ने अनुरोध किया है कि वर्मी खाद निर्माण हेतु गठन समीक्षा का पुनः विचार करे व यह योजना किसान की खेती की रीढ़ है ।

कवर्धा,,,प्रदेश सरकार ने विगत 5 माह से गोबर खरीदी बंद कर दी है जिससे चालू वित्तीय वर्ष में कृषकों को वर्मी कंपोस्ट खाद नहीं मिल पा रहा है जबकि इन्ही माहो में खाद का निर्माण एवं संग्रहण किया जाता है, “नरवा गरुवा घुरूवा बारी” यह योजना ना केवल प्रदेश अपितु पूरे भारत में हितकारी है गोबर से बनने वाला खाद विषरहित कृषि में सस्ता सुलभ है । इस योजना के अंतर्गत गोबर से अधोउद्योग, विद्युत उत्पादन, प्रदूषण रहित व्हाईट पेंट एवं अन्य खाद का भी निर्माण होता है यह योजना आज की नहीं हजारो वर्ष पुरानी कृषि परंपरा के अंतर्गत है । अतः प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय जी से कृषक एवं सामाजिक कार्यकर्ता बृजलाल अग्रवाल ने अनुरोध किया है कि वर्मी खाद निर्माण हेतु गठन समीक्षा का पुनः विचार करे व यह योजना किसान की खेती की रीढ़ है ।
भारत के आजाद होते ही सन् 1960 दशक में जब यंहा विदेशियों द्वारा रासायनिक खाद का लाभ बताकर किसानों को प्रोत्साहन कर रहे थे तब हमारे देश में हृदय सम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज ने रासायनिक खाद के विरोध मुहिम में चला रहे थे हर जगह किसानों को आवहन कर कहा करते थे कि रासायनिक खाद से जमीन की उर्वरा शक्ति कम होगी जिस प्रकार एक घोड़े को चाबुक मारकर उत्तेजित किया जा सकता है किन्तु ताकत नहीं दी जा सकती इसी प्रकार रासायनिक खाद से कृषि भूमि को क्षति पहुचेगी । अतः गौ वंश का पालन करे ताकि गाय की गोबर से विषरहित उत्तम खेती की जा सके एवं बछड़े से खेत की जोताई होगी व गाय के दूध, दही, घी से परिवार बलिष्ठ होंगे । अन्यथा लोग बीमार होंगे व उनकी संतान अस्पताल में पैदा होंगे एवं अस्पताल में ही मरेंगे इसके अलावा गाय पालन में कोई विशेष खर्च नहीं है इसके बावजूद भी तब की सरकार ने स्वामी करपात्री जी को इस मुहिम को रोकने के लिए काफी यातनाये दी आज देश में यह स्थिति है विषैले खेती से पूरे देश में अनेकों प्रकार की बीमारिया आ रही है ।

प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने देश के किसानों द्वारा लगातार रासायनिक खाद बढ़ते उपयोग के दुष्परिणाम को देखते हुए अपील की है कि कृषक रासायनिक केमिकल प्रयोगशाला से बाहर निकले व परम्परागत खेती करे एवं अधिक से अधिक जैविक खाद का उपयोग करे । रासायनिक खाद के बढ़ते मांग को देखते हुए यूरिया के 50 किलो के बोरी में 5 किलो कम कराए अब यह 45 किलो हो गई है इसके अतिरिक्त यूरिया को नीम कोटेड भी करवा दिया गया ताकि यूरिया का उपयोग कम हो सके इसी परिपेक्ष्य में सरकार ने गोबर खाद से वर्मी कंपोस्ट का निर्माण शुरू किया था एवं “नरवा गरुवा घुरूवा बारी” को पुनर्जीवित किये थे प्रारम्भिक अवस्था में यदि कुछ कमिया एवं भ्रष्टाचार रहा हो तो उसे दूर तक दुगने उत्साह से प्रदेश वासियों के स्वास्थ्य के लिए योजना लागू करे एवं सब्सिडी भी दे क्योंकि केंद्र सरकार रासायनिक खाद में भी भारी सब्सिडी दे रही है इसी प्रकार जैविक खाद में भी सब्सिडी दी जाये ।

उक्त योजना में गौ-मूत्र शामिल करने पत्रकार आशीष कुमार अग्रवाल राज्य शासन को विस्तृत अध्ययन रिपोर्ट दी थी उस पर कामधेनु विश्वविद्यालय में लगातार 3 माह तक गहन अध्ययन कर शामिल किया जिससे गौ-मूत्र से कीटनाशक दवा के रूप में कृषक उपयोग करेंगे । अतः पुनः अनुरोध है कि जन स्वास्थय के लिए एवं उद्योग भविष्य के लिए गोबर खाद को प्राथमिकता दिया जाये ।

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