बलरामपुर

लखनपुर वनपरिक्षेत्र मे वनपरिक्षेत्राधिकारी सूर्य कांत सोनी द्वारा किया जा रहा भ्रष्टाचार इन दिनो चर्चा का विषय बना हुआ है। पता चला है कि फर्जी नाम से चेक जारी कर इन्होने अब तक विभाग को करोड़ो का चुना लगाया है। इनके कार्यकाल मे कराए गए विभिन्न कार्यों की यदि विस्तृत जांच कराई जाय। तो इनके द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार का खुलासा हो जाएगा

 बी.पी. सिंह

अंबिकापुर /

लखनपुर वनपरिक्षेत्र मे वनपरिक्षेत्राधिकारी सूर्य कांत सोनी द्वारा किया जा रहा भ्रष्टाचार इन दिनो चर्चा का विषय बना हुआ है। पता चला है कि फर्जी नाम से चेक जारी कर इन्होने अब तक विभाग को करोड़ो का चुना लगाया है। इनके कार्यकाल मे कराए गए विभिन्न कार्यों की यदि विस्तृत जांच कराई जाय। तो इनके द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार का खुलासा हो जाएगा।

विदित हो कि वन विभाग में प्रत्येक कार्य के लिए प्रोजेक्ट बनता है। और उसी के हिसाब से कार्य किया जाता है। मसलन यदि किसी कार्य की लागत प्रोजेक्ट के हिसाब से 10 लाख रूपया है। और वह कार्य 8 लाख रुपाए मे पूरा हो जाता है तो बचे हुए 2 लाख उपाए को उन्हे विभाग को वापस करना चाहिए। किन्तु वनपरिक्षेत्राधिकाহী सोनी द्वारा ऐसा नही करते 18 लाख रुपए का भुगतान तो वे सम्वन्धित मजदूरों के खाते में कर देते हैं। और बचे हुए 2 लाख रूपयो का चेक वे फर्जी नामों से जारी कर बैंक कर्मचारियो से साँठ-गाँठ कर स्वयं आहरण का अपने पास रख लेते है। इस तरह से इन्होंने अब तक शासन को करोड़ों का चूना लगाया है। अतः इस बात की जांच की जाय कि किसी कार्य के पूरा होने के बाद उस कार्य मे लगे मजदूरो के एकाउन्ट में कितनी राशि का भुगतान किया ,तथा व्यक्तिगत नाम से कितना ।

वनपरिक्षेत्राधिकारी सोनी ने सबसे ज्यादा कार्य अगोली सर्किल मे पदस्य कारेस्टर आर. सी-यादव के यहाँ ही दी है। और उसी सर्किल के कार्यो में इन्होने ज्यादा फर्जी चेक जारी किए है। परि केवल अरगोती सर्किल के कार्यों की ही जांच हो तो सोनी के भ्रष्टाचार के पैमाने का पता चल जाएगा। यहाँ यह बताना लाजिमी है कि श्री सोनी का बचपन लखनपुर मे बीता है। तथा इनकी शुआती शिक्षा दीक्षा भी यही से प्रारम्भ हुई है। क्योंकि इनके पिता जी लखनपुर ये ही स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत थे। जो रिटायर होने के बाद अपने गृह ग्राम चले गए। चूँकि श्री सोनी लाखनपुर मे ही पले-बढ़े है। अत: इनका प्राय, सभी से व्यक्तिगत परिचय भी है। इसी वजह से इनके भ्रष्टाचार के खिलाफ आज तक कोई आवाज नही उठाया। अत: यह आवश्यक है कि इन्हें यहाँ से हटाकर इनके कार्यकाल में कराए गए विभिन्न कार्यों की विस्तृत जांच कराई जाए। ताकि ये उनके द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार का खुलासा हो सके।

वारिशो को राजगद्दीसौंपने की प्रथा पहले राजे रजवाड़ो में रही है। किन्तु वन विभाग मे भी इस प्रथा को लागू कर दिया गया है। वाकया बलरामपुर वनमण्डल के लाइफ नगर वन परिक्षेत्र का है। जहाँ पर इस राजशाही प्रथा की तरह ही रेंजरों को पोस्टिंग की गई है। जिसकी वन विभाग में आम चर्चा है। बताते है कि गत वर्ष लाइफनगर वनपरिक्षेत्राधिकारी के पद पर अशोक तिवारी की पोटिंग हुई थी। जब वे एस.डी.ओ. बने तो उन्होने अपने निकटतम रेंजर प्रेम चन्द मिश्रा की पोस्टिंग वाइमुनगर वनपरिक्षेत्राधिकारी के पद पर करा दी। अब जब प्रेम चन्द मिश्रा एस.डी.ओ. बने और उनकी पोस्टिंग सीतापुर उपवनाधिकारी के पद पर हुई तो उनके पुत्र उत्तम मिश्रा की पोस्टिंग वाइफनगर वनपरिक्षेत्राधिकारी के पद पर कर दी गई है। जो विभाग में चर्चा का विषय बना हुआ है। वनमंत्री से अपेक्षा हैं कि वारिशाना अन्दाज में की गई रेंजर उत्तम मिश्रा की पोस्टिंग को निरस्त कर वाइफनगर वनपारिक्षेत्राधिकारी के पद किसी अन्य रेन्जर की पोस्टिंग की जावे। ताकि विभाग की छान बनी रहे ।

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