कवर्धादुर्ग

मछली पालन बना आमदनी का जरिया

बम्हनी गांव की महेश्वरी को रोजगार गारंटी योजना से हुआ लाभ

कवर्धा,  जिला मुख्यालय कवर्धा से लगभग 70 किमी दूर सुदूर वंनांचल क्षेत्र में बोड़ला विकासखण्ड का गांव बम्हनी की यह कहानी, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना का उद्देश्य हर हाथ को काम, के कहावत को चरितार्थ करती है। महेश्वरी और उसका परिवार डबरी निर्माण से नियमित रोजगार पा कर आत्मनिर्भर हो गए। महेश्वरी जिसका परिवार इस योजना के तहत पंजीकृत है। रोजगार गारंटी योजना में जुड़कर शुरू से काम करती रही है, लेकिन जब उन्हें यह मालुम हुआ कि उनके अपने भूमि पर डबरी का निर्माण हो सकता है तो मानो उनके लिए तरक्की की नई रांह खूल गई। ग्राम पंचायत बम्हनी के ग्राम सभा में महेश्वरी और उसके पति काशी राम ने पंचायत में आवेदन करते हुए कहा की उन्हे अपने खेत में डबरी का निर्माण करना है। फिर क्या था ग्राम पचांयत ने नक्शा, खसरा सहित सभी जरूरी दस्तावेजों के साथ 1.57 लाख रूपए के लागत से डबरी निर्माण का कार्य स्वीकृत करा लिया। डबरी बनाने में 922 मानव दिवस का रोजगार सृजन हुआ, जिसमें 1.54 लाख रूपए मजदूरी पर व्यय किया गया और तीन हजार रूपए सामाग्री पर व्यय हुआ। डबरी निर्माण में महेश्वरी उसके पति काशी राम एवं उनके पूत्र रवि कुमार पटले को 167 रूपए. की दर से रोजागर मिल गया।
डबरी बनना आगे बढ़ने की शुरूवात थी। 40 बाई 40 के स्थान पर एक अच्छे डबरी बनने से रोजगार के साधन खुल गयें। काशी राम और उसके पूत्र रवि ने मछली पालन विभाग से संपर्क किया। अभिशरण के तहत आजीविका संवर्धन के लिए मछली पालन का प्रशिक्षण, जाल, एवं दवाईंयां निशुल्क मिल गया। 2000 रूपए के रियायत दर पर छः किलो मछली का बीज विभाग ने उपलब्ध कराया, बस फिर क्या था तरक्की शुरू हो गई। मछलियों के बीज जैसे ही बड़े हुए प्रत्येक सप्ताह 50 से 60 किलो मछली काशी राम और रवि ने बाजार में 140 के दर से बेचना शुरू कर दिया। पहले सप्ताह में ही लगभग 8,400रूपए की आमदनी हो गई। मछली बेचने से महेश्वरी और उसके परिवार को प्रत्येक सप्ताह अच्छी आमदनी होने लगा। अपने घर से कुछ रूपए लगाकर डबरी को और बड़ा तथा गहरा कर दिया गया। परिवार मछली पालन से आमदनी कमा रहे है और अपनी जरूरतें पूरी कर रहे है। पूरे साल मछली पालन से स्थायी रोजगार का अवसर इन्हें मिल गया है।
श्रीमती महेश्वरी बताती है कि ‘‘इनके पास घर में एक छोटा सा डबरी पिता के बाड़ी में है। डबरी बनाकर मछली पालन करना ही हमने सोच रखा था। इस कारण पंचायत के माध्यम से हमको काम मिल गया। एक बड़ी डबरी मेंरे घर के सामने हीं बन गई। इसमें रोहू, कतला, मृगल, एवं बी ग्रेड जैसे मछलियों का पालन कर पास के बाजार में बेच रहें है। अब हर सप्ताह लगभग 3000 की आमदनी कमा रहे है। ‘‘
श्री काशी राम, बताते है कि ‘‘हमारे डबरी से मछली मैं और मेरा बेटा रवि तथा घर के अन्य लोग मिलकर पकड़ते है। सरकार की मदद से डबरी बना लिए जिसमें काम करते हुए रोजगार मिल गया। मछली पालन के लिए जाल, दवाई जैसी जरूरी चीजे मुफ्त मिल गई और बेहतर किस्म का बीज बहुत ही कम दाम में मिला। हमको बहुत फायदा हो रहा है,क्योंकि पहले हम रोजी, मजदूरी करके अपना खर्च चलाते थे लेकिन अब एक दुकानदार बन गये है।‘‘
महेश्वरी के पुत्र श्री रवि कुमार पटेल, बताते है कि ‘‘मैं खुद अपने पिता के साथ बाजार जाकर मछलियां बेचता हुँ। 2 से 3 घण्टे हमें मछली पकड़ने में लगता है उसके बाद बाजार जाकर उसे बेच आते है। इससे हमे अच्छी आमदनी होती है जो पूरे सप्ताह हमारे घर खर्च को चलाने के लिए पर्याप्त है। रोजगार गारंटी योजना से हमको हमेशा के लिए डबरी के रूप में रोजगार का अवसर मिला है तथा हम अपनी आजीविका बेहतर तरीके से चला रहें है।

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