रायपुर

: वन विभाग में 2.58 करोड़ की क्लोनल नीलगिरी खरीदी रद्द

:  भ्रष्टाचार के खिलाफ अकबर का कड़ा रुख

: रायपुर। वनमंत्री मोहम्मद अकबर ने ईमानदारी के प्रति ऐसी प्रतिबद्धता पेश की है। जिसकी मिसाल मिलनी मुश्किल है। मामला वन विभाग में क्लोनल नीलगिरी से जुड़ा हुआ है। अकबर ने भ्रष्टाचार की शिकायतों के बाद इसकी खरीदी को रद्द करा दिया है। इससे सरकार इस साल 7.13 करोड़ की जगह 4.55 करोड़ पौधे ही लगा पाएगी।
जानकारी के मुताबिक वन विभाग के अधिकारियों ने अकबर को क्लोनल नीलगिरी के इस खरीद प्रक्रिया में उलझाने की खूब कोशिश की। विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों ने ऐसी स्थिति पैदा कर दी थी कि वे पुरानी भ्रष्टाचार को बढ़ाने वाली प्रक्रिया को मजूबर हो जाएं लेकिन अकबर ने अधिकारियों के खेल भांप लिया और खरीदी को ही रदद् कर दिया। पिछले कुछ सालों से हरियाली प्रसार योजना के लिये क्लोनल नीलगिरी खरीदने की प्रक्रिया में जमकर धांधली होती आई है। विभाग के अधिकारी टेंडर में शामिल होने के लिए ऐसी शर्तें बनाते थे जिससे उनकी चेहती तीन चार कंपनियां ही इसमें शामिल हो पाती थी। उसके बाद मनमानी कीमत डालकर ये कंपनियां ठेके को बांट लेती थीं. इस तरीके से अधिकारी और फर्म करोड़ों के वारे न्यारे कर लेते थे।
: अकबर ने मंत्री बनते ही अधिकारियों को साफ कर दिया था कि भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाली इस प्रक्रिया के तरह कोई खरीदी नहीं होगी। लेकिन बात मौखिक में होने से अधिकारियों ने इसे नजऱअंदाज़ कर दिया। इस बीच मई में बस्तर में नीलिगिरी की खरीदी में गड़बड़ी की बात सामने आई. मंत्री ने जांच कराया तो पता चला कि एक फर्म ने केवल कागज पर अपना नीलगिरी फॉर्म दिखाकर करोड़ों का आर्डर हासिल कर लिया। इसी भ्रष्ट प्रक्रिया की तहत खरीदी करने की फाइल मंत्री अकबर के पास 10 जून को आई तो शर्तों के नियम देखकर उनका माथा ठनक गया. उन्होंने दो टूक इस प्रक्रिया से खरीदी करने की बात को खारिज कर दिया। उन्होंने साफ कर दिया कि खरीदी में कोई नियम ऐसे नहीं होने चाहिए जो कांपिटिशन एक्ट 2002 का उल्लघंन करे।
इस बीच कई डीएफओ ने पुराने नियमों से ही अपने स्तर पर निविदा बुलाई थी. जिसे अकबर ने निरस्त कराया. इस बात से नाराज़ अकबर ने वन विभाग के तमाम बड़े अधिकारियों की बैठक बुलाई. उन्होंने पुराने नियमों के तहत खऱीदी की बात कही तो अकबर ने साफ मना कर दिया. इस पर वन विभाग के अधिकारियों ने दलील दी कि इस मसले पर विधि विभाग से पहले राय ले ली जा चुकी है। लेकिन अकबर सहमत नहीं हुए. उन्होंने खरीदी जैम पोर्टल से करने के आदेश दिए. जैम पोर्टल से जब ओपन टेंडर हुआ तो जो क्लोनल नीलिगिरी 6 रुपये 95 पैसे की दर से खरीदी गई थी वो इस साल 2 रुपये 68 पैसे के न्यूनमत दर पर आ गई. इस प्रक्रिया को अपनाने के बाद पहली बार राज्य के किसी फर्म को क्लोनल नीलगिरी के सप्लाई का ऑर्डर मिला। लेकिन इसमें कई जगहों पर अधिकारियों की लापरवाही से उस फर्म को टेंडर मिल गया. जो तीन साल से ब्लैक लिस्टेड रही है। फर्म ने ये बात छिपाई कि वो ब्लैक लिस्टेड कंपनी है.अकबर ने कहा किभ्रष्ट तरीके से खरीद करने से बेहतर है की इस साल क्लोनल नीलिगरी न खऱीदी जाए। 

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