कवर्धा

वन संपदा का हो रहा दोहन , वन अमला मौन, जनमन योजना अन्तर्गत निर्माणाधीन सड़क में गुणवत्ता दरकिनार

वन संपदा का हो रहा दोहन , वन अमला मौन, जनमन योजना अन्तर्गत निर्माणाधीन सड़क में गुणवत्ता दरकिनार

कवर्धा , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अति विशेष पिछड़ी जनजाति के लिए सुरक्षित आवास, स्वच्छ पेयजल, स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण तक बेहतर पहुँच के साथ-साथ बेहतर सड़क और दूरसंचार संपर्क और पीवीटीजी घरों और आवासों में स्थायी आजीविका के अवसर जैसी आवश्यक सुविधाएँ प्रदान करना है जिसके लिए तरह तरह की योजनाएं संचालित किया जा रहा है लेकिन कबीरधाम जिला में इसका मजाक बनाकर नियमो के विपरीत कार्य किया जा रहा है। जो समझ से परे है।प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में तो जंगल के पथरीली मिट्टी को पहाड़ से काट कर वही बराबर का रहे हैं जिसे मुरूम के रूप में उपयोग किया जा रहा है साथ ही सूचना पटल भी आधा अधूरा लगाया गया है जिससे लोगो को जानकारी ही न हो और निर्माण कार्य को मनमानी तरीके से पूर्ण किया जा सके।

अधूरा सूचना पटल

पंडरिया विकासखण्ड के वनांचल ग्राम तेलियापानी लेदरा से अंजवाइनबांह तक प्रधानमन्त्री जनमन योजना के तहत पक्की सड़क का निर्माण कार्य किया जा रहा है। जिसमे कितना मुरूम , मिट्टी, गिट्टी, पुल ,पुलिया , सीसी और डामरी कृत सड़क की संख्या और मात्रा सहित अन्य जानकारी प्रदशित किया जाता है । जिससे आम लोगो को सड़क निर्माण से जुड़े सभी जानकारी हो जाता है लेकिन विभागीय अधिकारियों की अनदेखी के चलते ठेकेदार ने नही लगाया है।

शुरुआती तौर से दिखाई दे रहा है लीपापोती

तेलियापान लेदारा से अंजवाइनबांह सड़क निर्माण कार्य के प्रारंभिक स्तर से ही निर्माण कार्य में लीपा पोती दिखाई दे रहा है। पहाड़ों के बीच में बनाए जा रहे डामरीकृत सड़क पर पहाड़ को दोनो तरफ से हल्का सा काटकर बराबर किया जा रहा है वही पहाड़ के ऊपर बसे तेलियापानी के खेत से खुदाई कर लाए मिट्टी को मुरूम के रूप में डाला जा रहा है जबकि दानेदार मुरूम का परत डालना था ।पहाड़ के दोनो तरफ से कटाई और किनारे से किए गए खुदाई की मिट्टी खुद मुरूम की तरह दिखाई देता है उसे बाहर निकालने के बजाए उपयोग किया जा रहा है। यदि विभागीय अधिकारी कर्मचारियों की निगरानी होता तो शायद गुणवत्ता युक्त निर्माण सामग्री का उपयोग किया जाता।

गुणवत्ता हीन सामाग्रियो का निर्माण में उपयोग

अंजवाइनबांह सड़क निर्माण में जंगली मिट्टी का उपयोग तो किया ही जा रहा है लेकिन पानी के बहाव और सड़क की कटाव को रोकने के लिए किनारे में बनाए जा रहे पाइप पुलिया निर्माण में घटिया किस्म की गिट्टी और स्थानीय नाला से मिट्टी युक्त रेत का उपयोग किया जा है । जिसमे सड़क की मजबूती कितना होगा ये समझ से परे है । मेन रोड से सड़क निर्माण कार्य शुरू होता है उसके लगभग सौ मीटर की दूरी पर ढलान है उक्त ढलान से पानी की बहाव और सड़क की कटाव को रोकने के लिए पाइप पुलिया बनाए जाने की संभावना दिखाई दे रहा है जिसमे गिट्टी ,रेत को देखने से ही गुणवत्ता कमजोर दिखाई दे रहा है वही ठीक उसी के आगे पचास मीटर पर पहाड़ की कटाई किया गया है जिसमे जंगली पेड़ को जे सी बी से गिरा कर नीचे फेक दिया गया है।

वन विभाग जानकर अनजान

उक्त सड़क निर्माण की जानकारी वन विभाग को भी है क्योंकि अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया होगा साथ ही क्षेत्र भ्रमण में विभागीय अधिकारी कर्मचारियों के द्वारा भी आना जाना रहता होगा । सड़क निर्माण कार्य के लिए जारी अनापत्ति प्रमाणपत्र शर्तो के अधीन जारी हुआ होगा जिसमे जंगल और पेड़ो को नुकसान नहीं पहुंचाने की उल्लेख भी होगा बावजूद ठेकेदार नियमो को ताक में रखकर पहाड़ की कटिंग और पहाड़ों में लगे पेड़ो को क्षति पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है वही वन अमला जंगल के पेड़ और पहाड़ों की नुकसान पर ध्यान नही देते हुए संबंध निभा रहा है।

दोहरानीति अपना रहा वन विभाग

गत वर्ष प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना अन्तर्गत तेलियापानी रोड का जीर्णोधार का चल रहा है जिसमे ठेकेदार के द्वारा सड़क किनारे नाली की खुदाई कर रहा था जिसमे वन विभाग के द्वारा निर्माण कार्य में लगे ट्रेक्टर और जे सी बी के ऊपर कार्यवाही किया गया था लेकिन आज उसी सड़क से लेकर अंदर और आसपास में कई सड़को का निर्माण कार्य प्रारंभ है जिसमे वन संपदाओ का खुलेआम दोहन किया जा रहा है जिसमे वन अमला हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए हैं। जो जन मानस में चर्चा का विषय बना हुआ है।

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