कवर्धा

तेंदूपत्ता ने ले ली नाबालिको की जान, मूक दर्शक बने हैं संरक्षण करने वाले विभाग ,,,  लक्ष्य पुरा करने नाबालिगको से लिया काम,,,  मजदूरी बना मौत का कारण,,,  बाल श्रम प्रतिषेध के नियमों का पालन नहीं,

तेंदूपत्ता ने ले ली नाबालिको की जान, मूक दर्शक बने हैं संरक्षण करने वाले विभाग ,,, 

लक्ष्य पुरा करने नाबालिगको से लिया काम,,, 

मजदूरी बना मौत का कारण,,, 

  • बाल श्रम प्रतिषेध के नियमों का पालन नहीं,,, 

कवर्धा , कबीरधाम जिले में बच्चो के साथ अन्याय , बाल मजदूर , शोषण को लेकर मीडिया और सोशल मीडिया लगातार शिकायते वायरल होते रहता है बावजूद शासन प्रशासन के ज़िम्मेदार आंख बंद कर नजर अंदाज करते रहते हैं । हाल ही में अभी दर्द से कराह रहे परिवार और मौत के तांडव की आग बुझी नहीं है | ग्राम सेमरहा में विगत दिवस तेंदुपत्ता संग्रह करने गए मजदूरों कि सड़क दुर्घटना में हुए दर्दनाक मौत में 3 नाबालिक बच्चों कि भी मौत हो गई | बच्चे अभी दुनिया देखें नहीं और काल के गाल में समा गये । नाबालिकों कि मौत कोई सामान्य मौत नहीं है बल्कि यह तेंदुपत्ता के कारण वन विभाग कि घोर उपेक्षा के चलते मौत हुई है ।
किशोर न्याय बालकों का संरक्षण अधिनियम, बाल श्रम प्रतिषेध अधिनियम के कड़े प्रावधान के बावजूद सरकारी अमला ही नाबालिक का शारीरिक श्रम कर शोषण कर रहा है | दर्दनाक मौत कि दुर्घटना ने नाबालिकों से कराए जा रहे बाल श्रम के मामले को उजागर किया है | इतना ही नहीं भारतीय संविधान के मूल अधिकारों में बाल श्रम को राष्ट्र के लिए निषेध किया गया है, जिसकी जिम्मेदारी सरकार कि होगी लेकिन वन विभाग भारतीय संविधान से नहीं गुलामी के प्रतिक अंग्रेजों के काले कानून से शासित हो रहा है उन्हें बस अपनी राजस्व और लक्ष्य वृद्धि से मतलब है नाबालिकों का शोषण हो या जान ही चली जाये कोई परवाह नहीं है ।
पंडरिया विकासखण्ड के ग्राम पंचायत खामही के आश्रित गांव सेमरहा के गाँव वालों कि हुई सड़क दुर्घटना में मौत कि रास्ट्रीय जाँच के मामले में नाबालिकों के मौत कि पृथक जाँच होनी चाहिए जिसमें वन विभाग के जमीनी अमला से लेकर जिला स्तर के अधिकारीयों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही किया जाना चाहिए|

लक्ष्य पूरा करने नाबालिको से लिया काम

कबीरधाम जिला के शासकीय, अर्धशासकीय और निजी संस्थानों में खुलेआम बाल मजदूरी करते आसानी से देखा जा सकता है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना , होटल , ढाबा, ईट भट्ठा, तेंदू पत्ता फड़ सहित कई संस्थानों में दिखाई देता है । वर्तमान में सभी को पता है कि स्कुल में गर्मी छुट्टी चल रही है सभी बच्चे अपने गाँव , घर परिवार में हैं ऐसे में नाबालिक बच्चों को मजदूरी का लालच देकर वन विभाग उनसे तेंदुपत्ता संकलन का कार्य कराने लगे । वन विभाग के अनुमति एवं सहमती के बैगर नाबालिक बच्चे तेंदुपत्ता संकलन करने नहीं जाते ।

मजदूरी बना मौत का कारण

तेंदू पत्ता तोड़ने का तिथि निर्धारीत होते ही लोग अपनी जीविका चलाने के लिए जंगल से पत्ता तोड़ने है और नजदीक के फड़ो में बेचते है । यदि वन विभाग नाबालिक बच्चों से मजदूरी नहीं कराता और तेंदुपत्त्त संकलन नहीं करवाता तो इतनी भयावह सड़क दुर्घटना में नाबालिकों कि जान नहीं जाती । बच्चो की मौत को लेकर सूक्ष्मता से जांच करने पर कई ज़िम्मेदारो के उपर कार्यवाही होने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता ।

बाल श्रम प्रतिषेध के नियमों का पालन नहीं

बाल श्रम प्रतिषेध नियमों का पालन को लेकर जिला , ब्लाक और पंचायत स्तरीय समिति का गठन किया गया है । कबीरधाम जिला कलेक्टर अपने तिमाही समीक्षा बैठक में औचारिकता पूरी कर लेते हैं क्यों नहीं अपने विभागों और खासतौर पर वन विभाग के इसके मानक प्रचालन के लिए निति नियम का अनुसरण किया जाता है | सभी नाबालिकों के शोषण और मौत के तांडव का मातम देख रहे हैं | नाबालिक बच्चों कि मुद्दे कभी भी शासन प्रशासन के लिए प्रमुख विषय नहीं रहें है क्योंकि ये बच्चे वोटर नहीं है | सभी केवल अपने वोट बैंक और वोटर को डरते हैं उनके लिए योजनायें उनकी सुरक्षा के कार्य करते हैं | मुंह में कहना कितना मीठा और अच्छा लगता है कि बच्चे देश के भविष्य होते हैं | क्या देश के भविष्य तेंदुपत्ता संकलन कर मौत के मुहं में समा जायेंगे तब राष्ट्र निर्माण होगा |

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