कवर्धा

स्वास्थ्य विभाग में अवैध को वैध ठहराने का चल रहा खेला, सरकार को लगा है,35 से 40 लाख का चुना।भस्ट  मुख्यचिकित्सा अधिकारी को हटा कर उच्चस्तरीय जांच किया जाय,, डी एन योगी प्रधान संपादक कबीर क्रान्ति

अनुकम्पा नियुक्ति नियम 2013 के नियम 10 (3) के तहत अनुकम्पा नियुक्त सहायक ग्रेड 3 को हिन्दी टाइपिंग कौशल परीक्षा पास करने के बाद ही वेतनवृद्धि देने का प्रावधान है। इस नियम को दरकिनार कर मुख्य चिकित्सा अधिकारी सभी अनुकम्पा नियुक्त लिपिकों को बिना कौशल परीक्षा पास किये ही नियुक्त दिनांक से वेतनवृद्धि का फायदा दे रहे। लिपिकों को नियम विरुद्ध वेतनवृद्धि देने से राज्य सरकार को अब तक लगभग 35 से 40 लाख रुपये का अकारण आर्थिक क्षति पहुँचा है।

स्वास्थ्य विभाग में अवैध को वैध ठहराने का चल रहा खेला, सरकार को लगा है,35 से 40 लाख का चुना।भस्ट  मुख्यचिकित्सा अधिकारी को हटा कर उच्चस्तरीय जांच किया जाय

कवर्धा डी एन योगी प्रधान संपादक कबीर क्रांति 

कवर्धा :- विवादित और उटपटांग क्रियाकलापों के लिए मशहूर जिले की स्वास्थ्य विभाग के मुखिया ने 5 – 6 साल पहले परीक्षा का परिणाम जारी कर नए विवाद को जन्म दिया है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने जिले के अधीन अलग – अलग आदेश देकर ज्ञानेश वर्मा, कपिल तिवारी, दीपक ठाकुर, देव कुमार सेन, सुप्रिया सिंह और मनोज कश्यप का सहायक ग्रेड 3 के पद पर अनुकम्पा नियुक्त किए हैं।

अनुकम्पा नियुक्ति नियम 2013 के नियम 10 (3) के तहत अनुकम्पा नियुक्त सहायक ग्रेड 3 को हिन्दी टाइपिंग कौशल परीक्षा पास करने के बाद ही वेतनवृद्धि देने का प्रावधान है। इस नियम को दरकिनार कर मुख्य चिकित्सा अधिकारी सभी अनुकम्पा नियुक्त लिपिकों को बिना कौशल परीक्षा पास किये ही नियुक्त दिनांक से वेतनवृद्धि का फायदा दे रहे। लिपिकों को नियम विरुद्ध वेतनवृद्धि देने से राज्य सरकार को अब तक लगभग 35 से 40 लाख रुपये का अकारण आर्थिक क्षति पहुँचा है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सुजॉय मुखर्जी ने मामला उजागर होने पर करीब 5 – 6 ,साल पहले आयोजित हुवे कौशल परीक्षा का हवाला देते हुए दिनांक 23 मार्च 2023 बकायदा आदेश जारी कर ज्ञानेश वर्मा,कपिल तिवारी, दीपक ठाकुर और देव कुमार सेन को उत्तीर्ण तथा सुप्रिया सिंह व मनोज कश्यप को अनुत्तीर्ण बताया है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी का घोषित परिणाम मान्य होगा कि नही इस पर अभी संसय की स्तिथि बनी हुई है।

ऐसे में मुख्य चिकित्सा अधिकारी के क्रियाकलापों में सवाल खड़े होना लाजिमी है आखिर 5- 6 साल पहले हुवे परीक्षा का रिजल्ट तो उसी समय के अधिकारियों ने अपने हस्ताक्षर से बनाये रहे होंगे तो उसी अधिकारी ने रिजल्ट जारी क्यो नही किया। परीक्षा के समय डॉ के के गजभिये प्रभार में रहे उसके बाद क्रमशः डॉ एस के तिवारी डॉ एस के मंडल रहे विगत सालभर से स्वयं डॉ सुजॉय मुखर्जी प्रभार में। क्या कारण होगा कि ये सभी अधिकारी उक्त परीक्षा का रिजल्ट जारी नही किये। खैर इसका खुलासा तो जांच के बाद ही होगा ही।

बहरहाल पूरे घटनाक्रम में अपने आप मे सिद्ध होता है की मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा रिजल्ट जारी करने के पहले लिपिकों को नियुक्त दिनांक अवैध वेतनवृद्धि भुगतान हुवा जिसकी वसूली कर सरकारी खजाने में जमा होनी है।

5-6 साल पहले की परीक्षा का परीक्षा पत्र किसके प्राधिकार में रहा, वो वही पेपर है जो परीक्षार्थियों ने दिया था , परीक्षा परिणाम में उत्तीर्ण, अनुत्तीर्ण के मापदंड को किसने प्रमाणित किया इन सबका खुलासा के लिए उच्चस्तरीय जांच की आवश्यकता जरूर है।

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