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रेंगाखार कला में वन-धन भवन केन्द्र और कोदो प्रोसेसिंग मशीन लगाने से वनोपज और कोदो उत्पादक हजारों किसानों को सीधा लाभ मिलेगा

रेंगाखार कला में वन-धन भवन केन्द्र और कोदो प्रोसेसिंग मशीन लगाने से वनोपज और कोदो उत्पादक हजारों किसानों को सीधा लाभ मिलेगा

कलेक्टर श्री जनमेजय महोबे ने रेंगाखार कला में वन-धन भवन केन्द्र और कोदो व प्रोसेसिंग कार्यो का अवलोकन किया

कवर्धा, । कबीरधाम जिले के बोड़ला विकासखण्ड के सुदूर एवं दुर्गम पहाड़ियों के उपर बसे रेंगाखार कला में वनोपज संग्राहक परिवार और कोदो-कुटकी उत्पादक किसानों की आय बढ़ाने के उद्ेश्य से वन धन केन्द्र व कोदो प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना की गई है। कलेक्टर श्री जनमेजय महोबे ने कोदो-कुटकी प्रोसेसिंग मशीन यूनिट इकाई का अवलोकन किया। कलेक्टर वनधन केन्द्र का निरीक्षण करते हुए प्रोसेसिंग यूनिट इकाई की सभी कार्यों का बारिकी से अवलोकन किया। कलेक्टर श्री महोबे ने अवलोकन करते हुए कहा कि वनोपज संग्राहक परिवारों और कोदो उत्पादक किसानों के आय में वृद्धि करने तथा उन्हे आर्थिक रूप से साधन संपन्न बनाने की दिशा में यह यूनिट वनांचल के हजारों किसानों के लिए अतिरिक्त आय का जरिया बनेगा। कलेक्टर ने वन विभाग के अधिकारियों से इस यूनिट प्रोसेसिंग के संबंध में विस्तार से जानकारी भी ली। उन्होने कहा कि राज्य शासन की यह महत्वाकांक्षी योजनाओं के द्वारा वनधन केन्द्र वनांचल में खोले गए है। इस वनधन का लाभ क्षेत्र के सभी वनोपज संग्राहक परिवारों को मिलने चाहिए।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश के वन, परिवहन, आवास, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री तथा कवर्धा विधायक श्री मोहम्मद अकबर ने रेंगाखार कला में वन-धन भवन केन्द्र भवन का लोकार्पण किया था। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि कबीरधाम जिले में वन विभाग द्वारा पांच वन-धन केन्द्र संचालित है। इसके बोड़ला, जुनवानी, तरेगांव, और कोदवा वनधन केन्द शामिल है। वन-धन केन्द्र में इससे जुड़े महिला स्वसहायता समूह द्वारा लघु वनोपज का प्राथमिक प्रसंस्करण एवं द्वितीयक प्रसंस्करण के रूप में कार्य किया जाता है। प्राथमिक प्रसंस्करण के अंतर्गत लघु वनोपज की साफ-सफाई कार्य किया जाता है और द्वितीयक प्रसंस्करण में उत्पादक तैयार जैसे कोदो से चावल तैयार करना, कच्चा शहद को मशीन से रिफाइन कर कर बेहतर पैकेजिंग कर बाजार में उपलब्ध कराना शामिल है।

कोदो कुटकी एवं रागी लघु धान्य रूप में जाना जाता है

छत्तीसगढ़ में कोदो-कुटकी एवं रागी फसल को लघु धान्य फसल के रूप में जाना जाता है। राज्य शासन द्वारा कोदो-कुटकी एवं रागी फसल को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रयास किया जा रहा है। कोदो-कुटकी एवं रागी फसल से इसके जुड़े लघु धान्य उत्पादक किसानों की आर्थिक विकास को बेहतर बनाने के लिए समर्थन मूल्य निर्धारित की गई। इसे भी राजीव गांधी किसान न्याय योजना से जोड़ा गया है। धान के बदले कोदो-कुटकी एवं रागी फसल को लेने या फसल चक्र परिर्वतन से जुड़ने वालो उत्पादक किसानों की प्रति एकड़ 10 हजार रुपए दिए जाते है।

कोदो-कुटकी उत्पादक तथा क्रय करने में प्रदेश में कबीरधाम जिला अव्वल

कबीरधाम जिले में पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा कोदो की खरीदी की गई है। राज्य शासन द्वारा कोदो-कुटकी का समर्थन मूल्य 3000 रुपए निर्धारित की गई है। राज्य के अलग अलग जिले में कोदो-कुटकी खरीदी के लिए लक्ष्य भी निर्धारित किए गए। कबीरधाम जिले में राज्य शासन द्वारा 8 हजार क्विंटल खरीदी करने के लक्ष्य रखा गया था। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली राज्य सरकार द्वारा राजीव गांधी किसान न्याय योजना के फलस्वरूप कबीरधाम जिले में कबीरधाम जिले के किसानों द्वारा फसल चक्र परिवर्तन को ज्यादातर किसानों द्वारा अपनाई गई। कबीरधाम जिले में 10 हजार क्विंटल खरीदी के लक्ष्य की तुलना में 21 हजार 300 क्विंटल कोदो की खरीदी की गई। प्रदेश में कबीरधाम जिला कोदो – कुटकी उत्पादक तथा क्रय करने करने में बन गया है। जिले में 5 वन धन केंद्र तथा 38 हाट बाजार में समिति द्वारा खरीदी की गई।

तरेगांव जंगल, कुकदूर, बैरख में संचालित है कोदो-कुटकी प्रसंस्करण केंद्र

कोदो-कुटकी का उत्पादन कबीरधाम जिले में सर्वाधिक होने तथा इससे जुड़े किसानों की आर्थिक समृद्धि को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार के मंशानुरूप जिला प्रशासन द्वारा जिले में चार अलग अलग स्थानों में कोदो-कुटकी फ्रोसेसिंग मशीन लगाने का निर्णय लिए गए। इस निर्णय के अनुसार जिले के आदिवासी बैगा बाहुल्य बोड़ला विकासखण्ड के ग्राम तरेगांवजंगल और बैरख में कोदो फ्रोसेसिंग मशीन लगाई गई। इसी प्रकार पंडरिया विकासखण्ड के ग्राम पोलमी और कुकदूर में यह मशीन लगाई गई है। कोदो की यह फ्रोसेसिंग मशीन वन विभाग के गठित महिला समूह द्वारा संचालित की जा रही है।

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