कवर्धा

कुंभकारों, स्व सहायता समूहों, छोटे कारीगरों को कलेक्टर ने दी बड़ी राहत

कुंभकारों, स्व सहायता समूहों, छोटे कारीगरों को कलेक्टर ने दी बड़ी राहत

कलेक्टर ने मिट्टी के अजीविका से जुड़े कुंभकारों, स्व सहायता समूहों, छोटे कारीगरों से किसी भी कर या टैक्स नहींं वसूलने के दिए निर्देश

मिट्टी के दीए को प्रोत्साहित करने कलेक्टर ने दिए निर्देश

कवर्धा। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के मंशानुरूप कलेक्टर श्री रमेश कुमार शर्मा ने कबीरधाम जिले के मिट्टी के अजीविका से जुड़े कुंभकारों, स्व सहायता समूहों, छोटे कारीगरों से किसी भी कर या टैक्स नहींं वसूलने के निर्देश दिए है। कुंभकारों, स्व सहायता समूहों, छोटे कारीगरों को दीपावली एवं अन्य पर्व पर मिट्टी के बर्तन, दीये और अन्य साज सज्जा के सामग्री बनाते है, ऐसे सभी लोगों को राहत देने के लिए जिले के नगर पालिका एवं सीएमओं के साथ-साथ सभी अनुविभागीय अधिकारियों (राजस्व), सभी तहसीलदारों, सभी जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों एवं जिले के सभी नगरीय निकायों के अधिकारियों को निर्देश दिए है।
उल्लेखनीय है कि दीपावली पर्व पर जिले में कुम्हारों और ग्रामीणों द्वारा मिट्टी के दिये बनाये जाते है तथा इन्हें बाजारों में विक्रय हेतु लाया जाता है। कलेक्टर श्री रमेश कुमार शर्मा ने कबीरधाम जिले के नगर पालिका एवं सीएमओं के साथ-साथ सभी अनुविभागीय अधिकारियों (राजस्व), सभी तहसीलदारों, सभी जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों एवं जिले के सभी नगरीय निकायों के अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा है कि मिट्टी के दिये विक्रय किये जाने हेतु आने वाले इन ग्रामीणों और कुम्हारों को किसी प्रकार की असुविधा न हो, इसका पूर्ण रूप से ध्यान रखा जाये। कलेक्टर ने नगर पालिका, नगर पंचायत क्षेत्र तथा ग्रामीण अंचलों में इनसे किसी भी प्रकार की कर वसूली नहीं करने के निर्देश दिए है। कलेक्टर ने नागरिकों से भी अपील है कि मिट्टी के दिये के उपयोग को प्रोत्साहित करें। अपने-अपने नगरपालिका व नगर पंचायत क्षेत्र के मुख्य मार्ग पर यातायात व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए मिट्टी के दीयों के विक्रय के लिए स्थान चिन्हांकित करेंगे, ताकि उक्त स्थान पर ग्रामीण जन बैठकर सुविधापूर्ण तरीके से मिट्टी के दीयों का विक्रय कर सकें। वहीं स्थानीय ग्रामीणों द्वारा तैयार किये गए मिट्टी के दीयों का उपयोग करने के लिए लोगां को प्रोत्साहित करेंगे, ताकि पर्यावरण सुरक्षित रहने के साथ-साथ ग्रामीणों के आय में वृद्धि हो सके।

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