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 पाकिस्तान के पत्रकार: हाथों में हथकड़ी और आँखों पर पट्टी, कैसे उठाएंगे आवाज़?

 पाकिस्तान के पत्रकार: हाथों में हथकड़ी और आँखों पर पट्टी, कैसे उठाएंगे आवाज़?
पाकिस्तान में बीते कुछ दिनों में सोशल मीडिया पर पाकिस्तानी सेना को बदनाम करने के लिए तीन पत्रकारों पर केस दर्ज किया गया है. उनके ख़िलाफ़ ‘हेट स्पीच'(नफ़रत भरी) भड़काऊ बातों, मानहानि और राजद्रोह क़ानून के तहत मामले दर्ज किए गए हैं.

पाकिस्तानी अख़बार ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ के पत्रकार बिलाल फ़ारूक़ी को शुक्रवार को कराची स्थित उनके घर के बाहर से पुलिस ने हिरासत में लिया था.

उनके ख़िलाफ़ एक फ़ैक्ट्री के कर्मचारी ने मामला दर्ज कराया था जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि उन्होंने सोशल मीडिया पर पाकिस्तान की सेना के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक बातें लिखी थीं. बिलाल पर सोशल मीडिया के ज़रिए धार्मिक उन्माद भड़काने का आरोप भी लगाया गया.
बिलाल के ख़िलाफ़ डिफ़ेंस पुलिस स्टेशन में एफ़आईआर दर्ज कराने वाले जावेद ख़ान ने ख़ुद को लांधी इलाक़े की एक फ़ैक्ट्री में मशीन ऑपरेटर बताया. जावेद का कहना था कि वो ‘मास्टर जूस शॉप’ में गए और उन्होंने बिलाल फ़ारूक़ी की फ़ेसबुक और ट्विटर पोस्ट खंगाली, जिसे उन्होंने ‘बेहद भड़काऊ’ पाया
एफ़आईआर के मुताबिक़ बिलाल की सोशल मीडिया पोस्ट्स ने ‘पाकिस्तानी सुरक्षाबलों की बदनामी की. ये पोस्ट्स लोगों को देश की सेना के ख़िलाफ़ विद्रोह करने और देश के दुश्मनों को उनके ग़ैरक़ानूनी मक़सद पूरा करने के लिए उकसा सकती थीं. इसलिए पत्रकार के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई होनी ही चाहिए.
एफ़आईआर में ‘प्रिवेंशन ऑफ़ इलेक्ट्रॉनिक क्राइम’ (पीआईसीए) की धारा 11 और 2 को भी शामिल किया गया था जिनके तहत ‘हेट स्पीच’ के मामलों से निबटा जाता है.

ऐसे मामलों में अपराध सिद्ध होने पर सात साल की जेल या जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं. हालाँकि सोशल मीडिया पर बिलाल पर एफ़आईआर की ख़ूब आलोचना हुई और इसके अगले ही दिन उन्हें ज़मानत पर रिहा कर दिया गया.

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