बालोद

बालोद मुख्यालय में जमाखोरों व कालाबाजारी करने वालों की चांदी,गुटका, गुड़ाखु की कालाबाजारी जोरो पर…..

बालोद मुख्यालय में जमाखोरों व कालाबाजारी करने वालों की चांदी,गुटका, गुड़ाखु की कालाबाजारी जोरो पर…..

अनीश राजपूत

बालोद-जिले में लॉकडाउन लगाये जाने की घोषणा होते ही आम लोगों के साथ ही ईमानदारी के साथ व्यवसाय करने वालों के माथे पर चिंता की लकीरे उभर पड़ी थी। दूसरी ओर जमाखोर व्यापारियों के मन में खुशी के लड्डू फूटने लगी थी। इसमें पान मसाला, सिगरेट, गुड़ाखू व तम्बाकू उत्पादों के व्यापारियों की संख्या अधिक थी। इन व्यापारियों ने शुरुवाती दौर में लगे लॉकडाउन में जमाखोरी को बढ़ावा देकर जमकर कमाई किया था। ऐसे में जब 23 जुलाई से लकडाउन घोषित किया गया और इसकी सूचना तीन दिन पहले ही सार्वजनिक कर दी गई तो जमाखोर व्यापारियों की सक्रियता बढऩे के साथ ही पान मसाला, सिगरेट, गुड़ाखू और तम्बाकू जैसे उत्पाद अचानक बजार से गायब हो गए थे। अब जिस अंदाज में कालाबाजारी हो रही है उससे साफ नजर आ रहा है कि जमाखोर व्यापारियों पर प्रशासन के लागू नियम व शर्तों के उल्लंघन की स्थिति में हो रही कार्यवाही का कोई खौफ ही नही रह गया है।

कोरोना संक्रमण को देखते हुए बालोद जिले में सप्ताह भर के लिए घोषित लॉकडाउन ने कालाबाजारियों को अनुचित कमाई का फिर एक अवसर प्रदान कर दिया है। पान मसाला, सिगरेट और तम्बाकू की इस दौरान जमकर कालाबाजारी चल रही है। लॉकडाउन के चार दिनों के भीतर ही इन सामग्रियों के चिल्हर बिक्री की कीमतें दुगुनी हो गई है। दुकानों के बंद रहने के बावजूद इनकी बाजार में बनी उपलब्धता से प्रशासनिक व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लग रहा है।

जिले में 23 से 29 जुलाई तक लॉकडाउन घोषित किया गया है। हालांकि इसके प्रभाव से ग्रामीण क्षेत्र को पृथक रखा गया है। लेकिन शहरी क्षेत्र की थोक और चिल्हर दुकानें बंद रहने से ग्रामीण आबादी को भी अपनी रोजमर्रा की जरुरतों के लिए परेशान होना पड़ रहा है। आम जनता की इस परेशानी का फायदा उठाने व्यापारियों के द्वारा जमकर कालाबाजारी की जा रही है। पान मसाला, सिगरेट, तम्बाकू और गुड़ाखू जैसे व्यसन वाली वस्तुओं को लेकर सबसे अधिक लूट मची हुई है।

कोरोना संक्रमण के शुरुवाती दौर में केन्द्र सरकार के निर्देश पर जब चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन घोषित किया गया तो आवश्यक वस्तुओ के साथ ही पान मसाला, सिगरेट, गुड़ाखू और तम्बाकू का व्यवसाय करने वालों ने जमकर चांदी काटी थी। इस बार जब जिला स्तर पर लॉकडाउन घोषित किया गया है तो भी ग्राहकों से मुहमांगी कीमत वसूलने से चूक नहीं रहे हैं।

अहम सवाल यह है कि 23 जुलाई से लॉकडाउन घोषित होने के साथ ही सब्जी, दवाई, दूध, जैसे जरुरी सामानों को छोड़ बाकी के सभी व्यवसाय पर प्रतिबंध लगा हुआ है तो फिर बाजार में पान मसाला, सिगरेट, गुड़ाखू व तम्बाकू जैसी नशीली चीजों की उपलब्धता कैसे बनी हुई है। इन वस्तुओं के व्यवसाय से जुड़े व्यापारियों को बेरोक-टोक माल मिल रहा है और वे थोक में ही कीमतें ज्यादा होने का हवाला देकर ग्राहकों से मुंहमांगी कीमत वसूल कर अपना खजाना भरने में लगे हुए हैं।

उल्लेखनीय है कि जिले में मध्यम वर्गीय लोगों के बीच राजश्री और विमल ब्रांड पान मसाला खासा लोकप्रिय है। सामान्य दिनों में इस ब्रांच का एक पाउच महज पांच रुपए में मिलता है। लेकिन लॉकडाउन लगते ही कीमत बढ़ते-बढ़ते आज 10 रुपए में एक पाउच बिकने लगा है। यही स्थिति उच्च वर्ग में पसंदीदा रजनीगंधा पान मसाला को लेकर भी बनी हुई है। सिगरेट के जितने भी स्थानीय स्तर पर लोकप्रिय ब्रांच प्रचलित है उनकी कीमतों मे भी लॉकडाउन लगने के साथ रोज एक रुपए की बढ़ोतरी हो रही है। जबकि गुड़ाखू और तम्बाकू के दाम पल-पल में बढऩे से आम उपभोक्ता हलाकान है।

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