राजनांदगाव

*◼️ग्राहकों को ठगने का बना एम.आर.पी. अच्छा जरिया।* *◼️सरकार का जो है इस पर आदेश सबसे बढ़िया।।*

*◼️ग्राहकों को ठगने का बना एम.आर.पी. अच्छा जरिया।*
*◼️सरकार का जो है इस पर आदेश सबसे बढ़िया।।*
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नितिन कुमार भांडेकर―
( 9589050550)
*खैरागढ़ ।* वर्तमान में सब कह रहे हैं महंगाई का जमाना तो पहले से था ही अब इस विकट पारिस्तिथ में महंगाई आसमान छू रही है। मैं कहता हूं कि एमआरपी के जरिये उपभोक्ताओं को ठगा जा रहा है , इसलिए चीजें महंगी हैं। अगर एमआरपी की व्यवस्था पर अंकुश लगा दिया जाए, तो सभी पैक्ड सामान सस्ते हो जाएंगे। एमआरपी यानी मैक्सिमम रिटेल प्राइस, यानी वह कीमत, जो किसी पैक्ड सामान पर छापी जाती है, यानी वह मूल्य जिससे ज्यादा पर कोई सामान ग्राहक को नहीं बेचा जा सकता। अगर मैं दावा करूं कि बाजार में कई सामान ऐसे हैं, जिन पर छापी गई एमआरपी उनकी असल कीमत से बीस गुना ज्यादा है, तो क्या आप यकीन करेंगे?

*◼️प्रिंट मूल्य से साठ परसेंट में डिस्काउंट का खेल ।*
*◼️ये कैसा है समानों में MRP का बिल का खेल।।*
क्या आप मानेंगे कि अगर कुल लागत के आधार पर किसी सामान की कीमत एक रुपया बैठती है तो उसे बनाने वाली कंपनी उस पर 20 रुपये तक एमआरपी छापती है? जी हां, यह पूरी तरह सही है। हाल में मैं आज खैरागढ़ के एक बड़े दुकान से फर्नीचर का सामान खरीदने बाजार गया। एक दुकानदार ने मुझे 30 फीसदी डिस्काउंट की पेशकश की। दूसरे दुकानदार के पास गया तो वह बोला भांडेकर साहब, आप खुद चलकर आए हैं तो चलिए आपको 50 फीसदी डिस्काउंट दे दूंगा। तीसरा 60 परसेंट डिस्काउंट पर आ गया। साफ है कि एमआरपी से 60 प्रतिशत कम पर बेचकर भी वह मुनाफा ही कमा रहा था।
एक रुपये की चीज की एमआरपी अगर 20 रुपये छापी गई हो तो कोई ग्राहक दुकानदार से कितनी बार्गेनिंग करेगा? एक-दो या हद से हद पांच रुपये की। यानी 20 रुपये की एमआरपी पर वह अगर 15 रुपये देकर सामान खरीदता है, तो भी दुकानदार का मुनाफा घटाने के बाद भी 10-12 रुपये ज्यादा ही देकर आएगा। जो फ्रिज का रायपुर में एमआरपी यानी 100 परसेंट दाम पर बिकता है, वही खैरागढ़ के बाजार में 40 फीसदी पर बिकता है। तो क्या रायपुर का दुकानदार घाटे में व्यापार कर रहा है, समाजसेवा कर रहा है? हरगिज नहीं। मैंने यह मसला जोरदार ढंग से छत्तीशगड़ राज्य सरकार के समक्ष अब उठाने की सोची है क्योंकि अब वक्त आ गया है कि आम आदमी को जगाया जाए, ताकि पूरे छत्तीशगड़ में जिस तरह धड़ल्ले से चल रहे इस गोरखधंधे के विरोध में एक मुहिम चलाई जा सके।
एमआरपी छापना जरूरी करते वक्त सरकार की सोच थी कि इससे लोगों के हित सधेंगे, लेकिन यही एमआरपी ठगी का जरिया बन गई है। इसके जरिए सामान बनाने वाली कंपनियां और दुकानदार दिनोंदिन मालामाल होते जा रहे हैं, लेकिन सख्त कानून नहीं होने से उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है। कहने को तो हमारे यहां ग्राहकों के हक की रक्षा के लिए उपभोक्ता फोरम हैं, लेकिन इंसाफ पाना हर किसी के लिए आसान नहीं है। और जब एमआरपी पर सामान बेचने का सरकारी नियम बना हुआ है तो फिर उसके खिलाफ फोरमों में भी आवाज बुलंद नहीं की जा सकती।
दूसरी तरफ लोगों को कुछ सामान तो एमआरपी से भी ज्यादा कीमत पर खरीदने पड़ते हैं। छत्तीशगड़ के रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों और ढाबों पर कोल्ड ड्रिंक्स और पानी की बोतलें, नमकीन, बिस्कुट व चिप्स वगैरह के पैकेट एमआरपी के मुकाबले पांच से दस रुपये महंगे बेचे जाते हैं। ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए केंद्र सरकार में उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय है। इसके बावजूद एमआरपी के नाम पर ठगी धड़ल्ले से चल रही है।
तमाम आलोचनाओं के बाद केंद्र सरकार के निर्देश पर उपभोक्ता मंत्रालय ने मान्य माप पद्धति कानून बदलने की प्रक्रिया शुरू की है। संशोधित ड्राफ्ट में एमआरपी से ज्यादा वसूली का दोषी पाए जाने पर ज्यादा जुर्माना वसूलने और जेल भेजने तक के प्रावधान हैं। एमआरपी के नए नियमों के तहत पहली बार दोषी पाए जाने पर पांच से 20 हजार का जुर्माना रखा गया है। दूसरी बार में जुर्माना बढ़कर 20 हजार से एक लाख रुपये हो जाएगा। अगर कोई दुकानदार या डिस्ट्रीब्यूटर तीसरी बार दोषी पाया जाता है, तो उसे जुर्माने के साथ एक साल की कैद भी हो सकती है। मान लीजिए, ये संशोधन हो भी गए, तो भी एमआरपी सिस्टम की खामियां तो दूर नहीं होने वाली।

*जागो सरकार जागो ―* जिस तरह से दिन ब दिन छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते जा रहें है इससे सरकार चिंतित है और इस पर अंकुश लगाने हर संभव प्रयास कर रही है पर छत्तीशगड़ के दुकानदार ऐसे वक्त में भी पैसे कमाने से पीछे नहीं है चूंकि दुकान दार प्रिंट रेट से अधिक मूल्य में समान की कीमत वशूल रही हैं वहीं इसके विपरीत प्रिंट रेट से 40 से 60 फीसदी कम में समान बेच रही है। पर हम सब जानते हैं कि कोई भी दुकानदार अपने धंधे में घाटे का सौदा नहीं करता है । जाहिर सी बात है फायदा है तभी वह ऐसा कर रहे हैं सरकार को इस पर जल्द ही कुछ नए नियम आदेश करने चाहिए जिससे जनता को कोई भी दुकान दार ठग न सके।

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