कवर्धादुर्ग

इन्शान में ही इस्वर का स्वरूप दिखता है ,,जानकी छत्रपाल सिंह

 इन्शान में ही इस्वर का स्वरूप दिखता है ,,जानकी छत्रपाल सिंह 

कवर्धा,डी,एन, योगी, एडीटर इन चीफ कबीर क्रांति

कवर्धा,,इन्सशान मेंं ही इस्वर का स्वरूप दिखता है लिये इस्वर इन्शान के रूप में अवतार लेते हैं जब मनुष्य इन्शानियत छोड़ कर हैवान बनता है और अपने आप को भगवान के समकक्ष समझने लगता है प्रेम और करुणा का भाव मनुष्य छोड़ कर अहंकार और अत्याचार का रास्ता अपना लेता है तब ऊपर बैठा सुपर पावर जिसे हम इस्वर कहते हैं हमे अपने उपस्थिति का अहसास कराता है इस्वर को सब पता होता है जब उसके बन्दे रास्ता भटक जाय तो उन्हें सही रास्ते पर कैसे लाना है तभी तो आज विश्व में जितने भी विनाश कारि हादसे हुये हैं ,,जय से भारत में केदरनाथ का वो ताण्डव जिसे दो नदियों ने मिलकर मचाया था केदारनाथ जहां स्वयम शिव विराजते हैं ये सोचने वाली बात है हिन्दू संस्कृति में जीने वलो को इस पर विचार करना चाहिये,, जहां से स्वयम शिव विराजते हो वहाँ भक्तों को जिंदा जल समाधि मिली विदेशों देखिये जहां इस्वर को दूसरे स्वरूप में पूजते हैं,,अल्लाह ,,जीजस,बुद्धा,,,जापान में विनाश कारी भूकम्प फ्लोरिडा मैं सुनामी ,हजारों जाने गई प्रकृति का प्रकोप है जिसपर हम इंसानो का कोई वस नही और भी बहुत सारी घटनायें हैं जिसे हम सभी जानते है इतना विनाशकारी दृश्य देखने के बाद भी हमारा ध्यान इस्वर की ओर नही जाता हम जानते हैं प्रकृति इस्वर का दुसरा स्वरूप है जब जब हम अपना हद पार करते हैं इस्वर हमे इसी रूप में हमे सही रास्ते पर लाने का प्रयास करता है और अपनी उपस्थिति का अहसास दिलाता है आज पुनः हमने हद पार किया है crona vairs, को बना कर हमने इंसानी जीवन को खतरे में डाल दिया है फिर से हमने भगवान से बड़ा बनने का प्रयास किया है ,,इसे कहते हैं विनाशकाले विपरीत बुद्धि,,पूरा विश्व खतरे में है ,ये खोजी लोग जो अपने आप को इस्वर से बड़ा समझते हैं फस गए हजारों लोग मर रहे हैं अब कौन ,,,,बचाय दूसरा संकट krona से बच गए तो आर्थिक संकट से कैसे बाहर निकलेंगे ,,इस्पस्ट दिख रहा है ,,के कृषि प्रधान देश है भारत हम पूरी तरह से कृषि के ऊपर डिपेंड करते हैं इस वर्ष अधिक पानी की वजह से पूरा फसल खराब हो चुका है ये प्रकृति का ही प्रकोप है ,अब विज्ञान के या इस्वर के शरण में जाना चाहिये निश्चित रूप से हमे इस्वर के शरण में जाना चाहिये इसके लिये हमें अपनेअपने घरों में हवन पूजन का कार्य अवश्य करना चाहिये कहते हैं हवन के धुयें से कीटाणु मरते है आइए हम पुनः अपने अपने ईस्ट के शरण में जाये क्यों कि हमारा प्रभु प्रेम और करुणा का सागर है वो अपने बंदों को असहाय नही छोड़ सकता बस विस्वास की बात है अत्यधिक ज्ञान आप को विनाश की ओर ले जायेगा तो आइये विस्वास के साथ इस्वर के शरण में चले ,,विश्व रक्षाके लिये अपनी संस्कृति के अनुरूप कदम उठाएं,,प्रभु अपने वचनों पर कायम रहेंगे ,,यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवतिभारत,,,महाभारत में श्री कृष्ण  ने जो कहा है उस पर भरोसा करें,,,,विचार जानकी देवी ,,,,

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