बालोद

कुटुंब न्यायालय बालोद ने एक परिवार को टूटने से बचाया, दंपत्ति के बीच जज वासनीकर और अधिवक्ता भेषकुमार साहू ने सुलह और समझौता करवाया

कुटुंब न्यायालय बालोद ने एक परिवार को टूटने से बचाया, दंपत्ति के बीच जज वासनीकर और अधिवक्ता भेषकुमार साहू ने सुलह और समझौता करवाया

बालोद-अनीश राजपूत

बालोद,अक्सर हम देखते हैं कि पश्चिम सभ्यता देश में टीवी और सिनेमा के माध्यम से पैर पसार कर इस देश की संस्कृति और संस्कार पर गंभीर असर डाल रही है। इससे बच्चे ही नही, पढे लिखे दंपत्ति भी प्रभावित हो रहें हैं। तो क्या हम इस देश की संस्कृति और संस्कार को भूल जाए और पश्चिम सभ्यता को स्वीकार कर लें, नही..? हमें रोकना होगा विदेशी सभ्यता को, देशवासियों को हमारे हिन्दू संस्कृति और संस्कार को आत्मसात करने के लिये हमें प्रेरित करना होगा । पश्चिमी सभ्यता के प्रभाव के कारण टूटते परिवार को हमे जोड़ना होगा। अब समय आ गया है हम सभी भागवत गीता को जीवन मे आत्मसात करें। वकालत करते हुए भी मानवीय मूल्यों का संरक्षण किया जा सकता है। ऐसा मुझे एहसास हुआ। डौंडीलोहारा अंर्तगत

एक ग्राम में निवासरत एक शिक्षित दंपति मेरे पास आए जो कि दोनों पेशे से शिक्षक है। उन्होंने कुटुंब न्यायालय (श्रीमान यशवंत वासनीकर) बालोद के समक्ष हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 13 (ख) के तहत 19 वर्ष पूर्व हुए विवाह को विच्छेदित कराने का आवेदन अपने अधिवक्ता भेषकुमार साहू के माध्यम से पेश किया था। उक्त दंपत्ति को नियमानुसार 6 माह का समय सुलह और समझौता हेतु दिया गया था। इन 6 माह में परिवार को टूटने से बचाने के लिये जज श्री वासनीकर और अधिवक्ता भेष साहू ने विशेष सराहनीय प्रयास किया गया । परिणामस्वरूप आज गुरुवार को दोनों एक साथ आए और “हम साथ-साथ है” कि जानकारी कोर्ट को दी। यह सुन कोर्ट परिसर में खुशनुमा माहौल बन गया।अधिवक्ता ने भी इस माहौल में दंपत्ति और उपस्थित लोगों का मुह मीठा करा कर जीवन भर सुखमय दाम्पत्य जीवन की शुभकामनाएं उस दंपत्ति को दिए हैं।

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