राजनांदगाव

छत्तीसगढ़ में प्रदेश की प्राथमिक/माध्यमिक हाई/हायर सेकेंडरी शालाओं में प्रधान पाठक,प्राचार्यों के रिक्त पदों पर करें भर्ती।

छत्तीसगढ़ में प्रदेश की प्राथमिक/माध्यमिक हाई/हायर सेकेंडरी शालाओं में प्रधान पाठक,प्राचार्यों के रिक्त पदों पर करें भर्ती।

स्थानांरण नीति की तरह प्रधानपाठक/प्राचार्य भर्ती नीति बनाकर मांगों को पूरा करे सरकार।
राजनांदगांव (संवाददाता)-

राजनांदगांव,छत्तीसगढ़ प्रदेश में दो दशकों की लंबी लड़ाई के बाद मिले संविलियन को लेकर प्रदेश के शिक्षाकर्मियों में खुशी तो है लेकिन संविलियन में रह गई विसंगतियों को लेकर उनके मन में जबरदस्त पीड़ा भी है क्योंकि उन्हीं के साथी संविलियन से वंचित भी रह गए हैं और वेतन विसंगति की मार भी झेल रहे हैं । कुछ साथी संविलियन से वंचित है तो बहुत कुछ वेतन विसंगति के भंवर में फंसे हुए है और ऐसे ही क्रमोन्नति का दंश भी अधिकांश शिक्षाकर्मियों के साथ है जिसका मूल कारण उनकी पुरानी सेवाओं की गणना न होना है। रही सही कसर इस लड़ाई में अपने प्राणों की आहुति देने वाले शिक्षाकर्मियों के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति न मिल पाना है।
रखा है । संघ के संभाग प्रभारी के उपस्थिती में दुर्ग संभाग सहित प्रदेश के सभी संभाग आयुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री, राज्यपाल,शिक्षा मंत्री को मांगो को लेकर ज्ञापन सौंपा गया था,जिसमे समस्त पंचायत ननि एवं एल बी संवर्ग के शिक्षकों को भूतलक्षी प्रभाव से क्रमोन्नति एवं समयमान वेतनमान का लाभ प्रदान करते हुए वर्तमान पद पर वेतन निर्धारण किया जावे।प्रधान पाठक प्राथमिक शाला, प्रधान पाठक माध्यमिक शाला, उच्च श्रेणी शिक्षक, ब्याख्याता एवं प्राचार्य के रिक्त पदों की पूर्ति अविलंब एल बी संवर्ग के शिक्षकों से किया जावे।ब्याख्याता (पंचायत नगरी निकाय) एवं शिक्षक (पंचायत नगरी निकाय) के वेतन के अंतर के आधार पर सहायक शिक्षक (पंचायत नगरी निकाय) के लिए समानुपातिक वेतनमान संरचना निर्मित कर वेतनमान का लाभ दिया जाए।संविलियन के लिए 8 वर्ष के बंधन को समाप्त करते हुए संविलियन से वंचित हुए शिक्षक (पंचायत नगरीय निकाय) संवर्ग का पूर्ण संविलियन किया जाए।पंचायत शिक्षक संवर्ग एवं एल बी संवर्ग के लिए अनुकंपा के लंबित प्रकरणों में निहित तकनीकी जटिलताओं को दूर / शिथिल करते हुए तत्काल निराकृत किया जावे।जिसमे आज दिनांक तक सिर्फ जानकारी जिला से मांगा गया और कार्यवाही शून्य के बराबर हुई।चूंकि यह मामला राज्य शासन से संबंधित होने के कारण आज तक पेंडिंग में है।
देवेंद्र साहू ने बताया कि स्कूल में प्रिंसिपल का चयन नए कैडर के तहत किए जाने को लेकर HRD मंत्रालय ने गाइडलाइन्स बनाई है और सभी राज्यों से फीडबैक मांगा है। कई राज्यों ने इसका समर्थन करते हुए अपनी तरफ से सुझाव दिया वहीं कुछ राज्यों ने चिंता भी जताई है। उनकी चिंता है कि अगर स्कूल में प्रिंसिपल की भर्ती अलग कैडर बनाकर की जाएगी तो टीचर हतोत्साहित होंगे। शिक्षकों के प्रमोट होकर प्रिंसिपल बनने का मौका खत्म होगा तो वे निराश हो सकते हैं।HRD मंत्रालय ने सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपल के अलग कैडर की जो गाइडलाइन बनाई है उसमें कहा गया है कि स्कूल को सुधारने में स्कूल हेड का बड़ा रोल होता है। स्कूल को लीड करना विशेषज्ञता है, महज टीचर के काम का विस्तार नहीं। इसमें बताया गया है कि कई राज्यों में स्कूल हेड का अलग पद बनाया ही नहीं गया है और जहां है भी तो वहां या तो पद खाली पड़ा है या सबसे सीनियर टीचर को इंचार्ज बना दिया गया है। अभी वर्तमान में प्रदेश में शिक्षाकर्मी से प्रधानपाठक बने शिक्षकों के संबंध में न्यायालय ने स्थगन आदेश दिया वह सराहनीय है।जिस प्रकार सत्र 2009-10 में राज्य सरकार नियम प्रधानपाठक भर्ती परीक्षा आयोजित किया था उसी प्रकार आज भी नियम बनाकर भर्ती परीक्षा/पदोन्नति करने की आवश्यकता है,ताकि प्रदेश में खाली पड़े पदों पर भर्ती हो सके।
प्रेषक-देवेंद्र साहू,मीडिया प्रभारी छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन 72763 राजनांदगांव।
मोबाइल नम्बर 7000398539

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