कवर्धादुर्ग

ग्रामीणों और समूहों को बताई जा रही है जैविक खाद् की महत्व और उपयोगिता

गौठान से लाभ लेने का गुण सीख रहें ग्रामीण

कवर्धा, कबीर धाम जिले में हुए गौठान विकास कार्य से ग्रामीणों को इसका लाभ मिल सके, इसके लिए गौठान प्रबंधन समिति के साथ कृषि विभाग, पशुपालन विभाग के मैदानी कर्मचारियों द्वारा गांवों में बैठक कर पशुओं के रख-रखाव के साथ जैविक खाद बनाने जैसे महत्वपूर्ण विषय पर जानकारी दी जा रही है। ज्ञात हो कि जिले में प्रथम चरण पर 74 गौठान का निर्माण कराया गया है। गौठानों में गौ पालक अपने पशुधन को पूरे दिन रख रखते है जहां पर सभी पशुओं को चारा पानी दवाईयां जैसी मुलभुत सूविधाएं उपलब्ध हो

रही है। गौठान में दिन भर पशु रहने के कारण गोबर उपलब्ध हो रहा है। गोबर के विभिन्न उपयोग से आर्थिक लाभ लिया जा सकता है। जैसे जैविक खाद की मांग सभी जगह होती है और इससे उत्पादित फसलों की मांग ऊचें दर पर होती है।
जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री कुन्दन कुमार ने बताया की गौठान का संचालन ग्रामीणों के साथ मिलकर गौठान प्रबंधन समिति द्वारा किया जाना है। छत्तीसगढ़ शासन की सुराजी गांव योजना के तहत नरवा, गरूवा, घुरवा एवं बाड़ी योजना के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए अनेक उपाय किए जा रहेे है। आजीविका मिशन के तहत गांव में बनाए गए स्वसहायता समूह के सदस्यों को नियमित आय के साधन उपलब्ध हो इसके लिए जैविक खाद बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। साथ ही चरवाहा और उनके परिवार के सदस्यों को गौठान एवं चारागाह स्थल में आय के साधन कैसे बढ़ाने है इस पर भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कृषि विभाग, पशुपालन विभाग के प्रशिक्षित कर्मचारियों

द्वारा ग्रामीणों को योजना से जुड़ने की जानकारी दी गई। ताकि भविष्य में गौठान एवं चारागाह का कार्य ग्राम पंचायत अपने स्तर पर संचालित कर सकें। गोबर को एकत्रित कर वर्मीबेड में डालने, उसका उपचार कर केचूआ डालते हुए जैविक खाद बनाने की विधि के गुण बताये जा रहें है। अब तक कोदवा गोडान, मंझोलीरवन, उदका, गौरकांपा, इरिमकसा, मानिकपूर, जैसे विभिन्न पंचायतों में ग्रामीणों को प्रशिक्षित किया गया है। पशु चिकित्सा विभाग के डाॅक्टरों द्वारा पशुधन को मौसमीं बिमारी एवं उसके खानपान से संबंधित जानकारी दी जा रही है। चारागाह विकास के बारे में ग्रामीणों को जानकारी दी जा रही है की नेपियर, एम.पी.चेरी जैसे घास से पशुधन को पौष्टिक आहार मिलेगा और दूध की उत्पादकता बढ़ेगी जो सीधे पशुपालक को अर्थिक लाभ देगा।

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