कवर्धादुर्ग

चारागाह के लिए दस-दस एकड़ भूमि होगी आरक्षित

कवर्धा। जिले के विभिन्न ग्राम पंचायतों में बनाये गये गौठान में हमेशा चारा उपलब्ध हो इसके लिए सभी जगह दस-दस एकड़ भूमि का चयन कर चारा की बुआई करने के लिए जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री कुन्दन कुमार ने विभागो को निर्देश दिये है।
ज्ञात हो की जिले में अभी चारागाह विकास का काम प्रक्रियाधीन है, जिसमें अनेक प्रकार के आहार पशुओं के लिए तैयार किये जा रहे है। भविष्य में चारे की समस्या उत्पन्न न हो इसको देखते हुए और अधिक भूमि चारागाह के लिए तैयार किया जा रहा है। उनहोंने आज यहां जिला पंचायत कक्ष में नरूवा, गरूवा, घुरवा एवं बाड़ी योजना में कराये जा रहे कार्यों की समीक्षा की गई। पशु पालन विभाग, कृषि विभाग एवं जनपद पंचायतो से चारागाह के लिए जमीन उपलब्धता और उसमें बोआई की ग्राम पंचायतवार समीक्षा की गई। सभी जनपद पंचायतो को सक्त निर्देश दिया गया है की वे अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) के साथ समन्वय स्थापित कर प्रत्येक गौठान के लिए 10 एकड़ भूमि का चयन करें साथ ही निर्देश दिया गया की यदि एक चक की भूमि न मिले तो दो तीन भाग में लेकर इसकी पूर्ति करें। चारागाह भूमि का चिन्हांकन होते ही तत्काल उसकी जोताई कर बीजा रोपण करने के लिए कृषि विभाग एवं पशुपालन विभाग को कहा गया है। पशुधन को चारागाह के रूप में पौष्टिक आहार मिले इसके लिए नेपियर घास, एमपी चेरी एवं मक्का के साथ अन्य बीज जो शासन ने निर्धारित किया है उसकी बोआई किया जाये।
श्री कुन्दन कुमार ने बैठक में जनपद पंचायतों को निर्देश देते हुए कहा की राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के द्वारा बनाये गये समूह को प्रोत्साहित करें, जिससे कि वे गौठान में उपलब्ध गोबर से जैविक खाद का निर्माण कर आर्थिक लाभ प्राप्त कर सकें। कृषि विभाग एवं पशुपालन विभाग को कहा गया है, वे समूह के साथ ग्रामीणों से चर्चा करें और गौठान में ग्रामीणों की भागीदारी सुनिश्चित करें। चारागाह विकास के कार्य में अपेक्षाकृत प्रगति नहीं होने के कारण पशुपालन विभाग के मैदानी अमलों का वेतन आगामी आदेश तक रोकने के निर्देश उपसंचालक पशु विभाग को दिये गये है तथा निर्देश दिया गया की आगामी एक सप्ताह के भीतर कार्य में प्रगति नहीं पाये जाने पर कड़ी कार्यवाही की जावेगी। सभी गौठानांे में लक्ष्य के आधार पर वर्मीबेड लगाने के निर्देश दिये गये तथा कृषि विभाग, उद्यानिकी विभाग एवं वन विभाग को कहा गया की समूह द्वारा तैयार किये गये जैविक खाद्य को विभाग में आवश्यकता होने पर क्रय किया जावे। योजना से जुड़े सभी विभागों को आपस में मिल-जूलकर कार्य करने और शासन के मंशा अनुरूप गौठान एवं चारागाह विकास कार्य से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए ग्रामीणों को जोड़ने की बात कही गई है।

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