रायपुर

 पांच सौ करोड़… 40 विधायक… सत्ता परिवर्तन और फिरोज सिद्दीकी

 पांच सौ करोड़… 40 विधायक… सत्ता परिवर्तन और फिरोज सिद्दीकी

छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार क्या खतरे में है ? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि इस पर जनचर्चा शुरू हो गई है.

जनचर्चा के मुताबिक छत्तीसगढ़ में पांच सौ करोड़ रूपए भेजे गए हैं. तीस से चालीस विधायकों को लक्ष्य बनाकर संपर्क साधने का प्रयास हो रहा है.

रायपुर,दूसरी ओर फिरोज सिद्दीकी के संदर्भ में पप्पू फरिश्ता का यह आरोप गंभीर हो जाता है कि वह सत्ता परिवर्तन के खेल में लगा हुआ था.

लोगों के बीच तरह तरह की बात हो रही है. कोई इसे खाली गासिफ बताता है तो कोई इसे मोदी है तो मुमकिन है शीर्षक से जोड़कर देखता है.

तो क्या वाकई छत्तीसगढ़ में कुछ होने वाला है? क्या छत्तीसगढ़ के विधायक कांग्रेस को कर्नाटक-गोवा जैसा झटका दे सकते हैं?

जनचर्चा बताती है कि भले ही ऐसा ख्याली पुलाव सा लग रहा हो लेकिन कहीं न कहीं कुछ न कुछ हो जरूर रहा है. अब वह छत्तीसगढ़ हो अथवा मध्यप्रदेश-राजस्थान.

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के मुखिया के बतौर भूपेश बघेल बढिय़ा कार्य कर रहे हैं. उन्होंने छत्तीसगढ़ के लोगों को यह एहसास दिलाया है कि छत्तीसगढिय़ा मुख्यमंत्री अथवा सरकार कैसी हो सकती है.

भूपेश बघेल के इतना सब कुछ करने के बावजूद यह भी तय माना जा रहा है कि कांग्रेस के कुछ एक विधायक अपनी सरकार से व्यक्तिगत कारणों से संतुष्ट नहीं है. ये विधायक गाहे बेगाहे सरकार के लिए संकट खड़ा कर सकते हैं.
 छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार क्या खतरे में है ? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि इस पर जनचर्चा शुरू हो गई है.

जनचर्चा के मुताबिक छत्तीसगढ़ में पांच सौ करोड़ रूपए भेजे गए हैं. तीस से चालीस विधायकों को लक्ष्य बनाकर संपर्क साधने का प्रयास हो रहा है तो क्या संकट इतना बड़ा होगा कि सरकार पर बन आएगी ? हमें तो ऐसा नहीं लगता. फिर भी जनचर्चा बताती है कि कांग्रेस की सरकार से सबसे ज्यादा परेशानी मध्यप्रदेश, राजस्थान की तुलना में छत्तीसगढ़ में ही दिखाई दे रही है.

जनचर्चा तो यहां तक होने लगी है कि 10 से 15 विधायकों से संपर्क हो गया है. आने वाले दिनों में यह संख्या 30 से 40 विधायक तक पहुंच जाएगी. उस समय क्या कुछ होगा यह अभी तो भविष्य के गर्त में है लेकिन षडयंत्रकारियों पर निगाह रखी जाने लगी है.

पप्पू फरिश्ता के आरोप के मुताबिक फिरोज सिद्दीकी सरकार बदलने के खेल में शामिल था. तो क्या कोई इतना मजबूत हो सकता है कि वह सरकार बदल दे.

इससे हम भले ही इत्तेफाक नहीं रखें लेकिन फिरोज सिद्दीकी की आड़ में पीछे बैठे वह लोग सामने लाए जाने बेहद जरूरी हैं जिन्होंने सरकार बदलने का जनचर्चा के मुताबिक खेल रचा था ( है ) .

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