दिल्ली

 पीएम आवास योजना में पकड़े गए 10 हजार अपात्र लाभार्थी, पहले से ही पक्का घर होने के बाद भी किए आवेदन

 पीएम आवास योजना में पकड़े गए 10 हजार अपात्र लाभार्थी, पहले से ही पक्का घर होने के बाद भी किए आवेदन
,दिल्लीअधिकारियों का कहना है कि ऐसे लोगों के भी आवेदन थे, जिनके पास पक्के मकान पहले से ही हैं। यही नहीं ऐसे भी तमाम लोग हैं, जिनकी माली हालत काफी अच्छी है।
पीएम किसान सम्मान निधि स्कीम में 110 करोड़ रुपये के घोटाले के बाद अब पीएम आवास योजना में भी फर्जीवाड़ा सामने आया है। उत्तर प्रदेश के अकेले कन्नौज जिले में ही योजना के 10,000 अपात्र लाभार्थी पाए गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अभी जिले में वेरिफिकेशन की प्रक्रिया चल रही है और यह आंकड़ा और बढ़ सकता है। एक अधिकारी ने बताया कि दो वर्ष पूर्व पीएम आवास योजना के तहत 50,000 आवेदन मिले थे, जिनका वेरिफिकेशन किए जाने पर 10,000 अपात्र पाए गए हैं। इन लोगों के नामों को अब लाभार्थियों की ऑनलाइन सूची से बाहर किया जा रहा है। योजना के तहत किस हद तक फर्जी आवेदन हुए थे, इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक ही ब्लॉक में 1133 मिले हैं, जबकि कुल 6,000 के करीब आवेदन हुए थे।

अधिकारियों का कहना है कि ऐसे लोगों के भी आवेदन थे, जिनके पास पक्के मकान पहले से ही हैं। यही नहीं ऐसे भी तमाम लोग हैं, जिनकी माली हालत काफी अच्छी है। पीएम आवास योजना ग्रामीण का आवेदन ग्राम सभा के लेवल पर होता है और प्रधान की ओर से सारा डाटा जुटाने के बाद ग्राम विकास अधिकारी को भेजा जाता है। इसके बाद यह डाटा ब्लॉक और जिला लेवल पर जाता है। इसके बाद मंजूरी के लिए प्रदेश स्तर पर फाइल भेजी जाती है। हालांकि इससे पहले आवेदकों का सर्वे किया जाता है। इसी सर्वे में यह फर्जीवाड़ा सामने आया है।

बता दें कि पीएम आवास योजना ग्रामीण के तहत 1.20 लाख रुपये की रकम पक्का आवास तैयार करने के लिए मिलती है। इसके अलावा 90 दिन की करीब 18 हजार रुपये मनरेगा की दिहाड़ी भी दी जाती है। यही नहीं शौचालय भी दिए जाने का प्रावधान है, इसके तहत 12 हजार रुप
अधिकारियों का कहना है कि ऐसे लोगों के भी आवेदन थे, जिनके पास पक्के मकान पहले से ही हैं। यही नहीं ऐसे भी तमाम लोग हैं, जिनकी माली हालत काफी अच्छी है। पीएम आवास योजना ग्रामीण का आवेदन ग्राम सभा के लेवल पर होता है और प्रधान की ओर से सारा डाटा जुटाने के बाद ग्राम विकास अधिकारी को भेजा जाता है। इसके बाद यह डाटा ब्लॉक और जिला लेवल पर जाता है। इसके बाद मंजूरी के लिए प्रदेश स्तर पर फाइल भेजी जाती है। हालांकि इससे पहले आवेदकों का सर्वे किया जाता है। इसी सर्वे में यह फर्जीवाड़ा सामने आया है।
बता दें कि पीएम आवास योजना ग्रामीण के तहत 1.20 लाख रुपये की रकम पक्का आवास तैयार करने के लिए मिलती है। इसके अलावा 90 दिन की करीब 18 हजार रुपये मनरेगा की दिहाड़ी भी दी जाती है। यही नहीं शौचालय भी दिए जाने का प्रावधान है, इसके तहत 12 हजार रुपये लाभार्थी को मिलते हैं। इस तरह कुल तीन स्कीमों के जरिए लाभार्थी को लगभग 1.5 लाख रुपये तक की रकम मिलती है।

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