रायपुर

: राज्य में कोरोना बेकाबू:554 करोड़ खर्च फिर भी लगातार बढ़ रहा संक्रमण, अब तक 519 लोगों की मौत, 58 हजार कुल मामले

: राज्य में कोरोना बेकाबू:554 करोड़ खर्च फिर भी लगातार बढ़ रहा संक्रमण, अब तक 519 लोगों की मौत, 58 हजार कुल मामले
: प्रदेश में एक ही दिन में 2963 केस मिले जबकि मप्र में 2240, पंजाब 2473, राजस्थान 1660 व गुजरात में 1344
सिर्फ 5 दिन में 10 हजार केस, एक्टिव मरीज 31 हजार से अधिक हुए
करीब ढाई करोड़ की आबादी वाले छत्तीसगढ़ में मार्च से अब तक कोरोना संक्रमण को रोकने और इलाज आदि में 554 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। इसके बाद भी बीते 15 दिन से संक्रमण बेकाबू हो गया है। मरीज संख्या 58 हजार पार हो गई है। पिछले एक हफ्ते से प्रदेश में रोजाना लगभग ढाई हजार के औसत से मरीज निकल रहे हैं। राजधानी में ही यह औसत 1 हजार प्रतिदिन के करीब है। प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अंबेडकर अस्पताल को कोविड अस्पताल में बदलने के साथ-साथ सरकार ने प्रदेश में अस्पतालों और कोविड सेंटरों में 250 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए हैं। 21097 बेड के इंतजाम का दावा किया गया था, लेकिन शुक्रवार को प्रदेश में एक्टिव मरीजों की संख्या 31 हजार से ज्यादा हो गई। ऐसे में कई मरीज बिस्तर के लिए भटक रहे हैं। कोरोना को काबू करने राज्य कई स्तर पर खर्च कर रहा है। कोरोना पर खर्च के लिए प्रदेश सरकार ने विभागों को शत प्रतिशत बजट आवंटित करने के बजाय उसमें 30 फीसदी की कटौती तक की है। मरीजों की टेस्टिंग पर 102 करोड़ खर्च हो चुके हैं।

: किस मद से कितने करोड़ रुपए खर्च

नेशनल हेल्थ मिशन का खर्च – 68
स्वास्थ्य विभाग का खर्च – 273
नगरीय प्रशासन का खर्च – 80
मेडिकल कालेज अस्पताल – 30
मुख्यमंत्री राहत कोष से खर्च – 23
केंद्र का आपदा राहत कोष – 65
प्रधानमंत्री (पीएम) केयर फंड – 15
: एंटीजेन किट 4.5 लाख 18 करोड़
आरटीपीसीआर किट 2 लाख 10 करोड़
अंबिकापुर-बिलासपुर लैब 4 करोड़
रैपिड टेस्ट किट 1 लाख 3 करोड़
वीटीएम किट 2.5 लाख 2 करोड़
थर्मामीट 8 हजार 1.28 करोड़
पीपीई किट 3.75लाख 1.25 करोड़
गाॅगल्स 50000 32 लाख
फेस शील्ड

50000 20 लाख
एन-95 मास्क 65 हजार 85 लाख
: (सीजीएमएससी की खरीदी, इसमें डीएमई-लोकल खरीदी शामिल नहीं)

रायपुर में मरीजों की संख्या 20 हजार पार, अब तक 239 लोगों की मौत
राजधानी में शुक्रवार को कोरोना मरीजों का आंकड़ा 20 हजार पार कर गया है। वहीं प्रदेश में भी मरीजों की संख्या 57 हजार से ज्यादा है। एक्टिव केस भी 30 हजार से ज्यादा हो गए हैं। जो कि देश के गिने-चुने राज्यों में ही है। कोरोना से मरने वालों की संख्या भी 500 को पार कर गई है। शुक्रवार को राजधानी में 940 समेत प्रदेश में 2963 नए मरीज मिले हैं। रायपुर में 16 समेत प्रदेश में 25 लोगों की मृत्यु भी हुई है। इस मृत्यु के साथ ही प्रदेश में मरने वालों की संख्या 519 और रायपुर में 239 पहुंच गई है।
: अस्पतालों-कोविड सेंटरों में 24 हजार बेड, पर मरीज ही 30 हजार से ज्यादा
प्रदेश में कोरोना मरीजों के लिए अस्पतालों और कोविड केयर सेंटरों को मिलाकर 24 हजार से अधिक बिस्तर की व्यवस्था है। इनमें कोविड सेंटरों में 21097 बेड लगे हैं। प्रदेश में 30 डेडिकेटेड कोविड अस्पतालों में भी 3384 बेड हैं। शुक्रवार को प्रदेश में एक्टिव केस 30 हजार से ज्यादा हैं, यानी ऐसे लोग जिन्हें अस्पताल में बिस्तर मिलना चाहिए। अर्थात आज की तारीख में प्रदेश में 4 हजार से ज्यादा मरीज ऐसे हैं, जिन्हें अस्पतालों में बिस्तर नहीं मिल पाए हैं। अब जाकर स्वास्थ्य विभाग कोविड सेंटरों में करीब 4 हजार बिस्तर बढ़ाने की तैयारी कर रहा है। जब तक यह बढ़ेंगे, मरीज भी बढ़ जाएंगे क्योंकि प्रदेश में एक्टिव मरीजों की वृद्धि दर ही 6.6 प्रतिशत से अधिक है।
 राशन, क्वारेंटाइन सेंटर, मशीनें तथा संसाधन बढ़ाने पर खर्च हुई राशि
हालांकि इस लड़ाई के लिए राज्य ने अपने सभी संसाधन झोंक दिए हैं। न सिर्फ स्वास्थ्य विभाग बल्कि खाद्य, नगरीय प्रशासन, श्रम, राजस्व के साथ ही लगभग सभी विभागों ने अपना खजाना खोला है। श्रम विभाग मजदूरों को लाने-ले जाने पर 4.65 करोड़ रुपए खर्च कर चुका है। श्रमिकों के रहने-खाने की व्यवस्था पर राजस्व विभाग ने 18.20 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। इसी काम के लिए स्वास्थ्य विभाग के भी 75 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। केंद्र की अनुमति से डीएमएफ फंड से भी लगभग 506 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। यह पूरी रकम इलाज, सैनेटाइजेशन, मास्क, पीपीई किट, स्वास्थ्य सेवाओं में वृद्धि, भोजन वितरण, दवाइयां, क्वारेंटाइन सेंटर की व्यवस्था, कोविड सेंटर के निर्माण, मशीनों और बिस्तरों की खरीदी पर खर्च हुई है।
: विभागों के बजट में 30% की कटौती
लॉकडाउन के कारण राज्य में आई सामान्य आर्थिक मंदी से निपटने और इलाज के इन इंतजामों के लिए मई माह में सरकार ने सभी विभागों के सरकारी खर्च की सीमा को कम कर दिया। विभागों को शत प्रतिशत बजट आवंटित करने की बजाए उसमें तीस फीसदी की कटौती कर दी गई यानि विभाग पूरे साल में 100 प्रतिशत की जगह 70 प्रतिशत ही बजट खर्च कर सकेंगे।

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