राजनांदगाव

*◼️प्रमोशन पाने पंडित जी को लाखों की दक्षिणा:―*

*◼️प्रमोशन पाने पंडित जी को लाखों की दक्षिणा:―*

नितिन कुमार भांडेकर:―
(9589050550)

मेरे प्रिय पाठकों आपके सामने मैं आज फिर एक गुदगुदाता हुवा एक घटना लेकर आया हूँ । जिसका किसी भी व्यक्ति विशेष से लेना देना नहीं है , यह तो सिर्फ आपके मनोरंजन के लिए है जिसे मैं आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ।
बात ऐसी है कि कुछ दिनों से नगर के जुमलेबाजों ने दबी कुचली जुबां से पंडित जी को मिली लाखों रुपये की चढ़ावे पर शोर कर रखा है। अब भला पदोन्नति के लिए कर्मचारियों द्वारा लाखों की दान दक्षिणा पंडित जी के मांगने पर दे दी गयी है तो इसमें बुराई ही क्या है। हमारे देश की संस्कृति है भई , बिना चढ़ावे के कोई काम नहीं बनता हमारा। इन्होंने ने भी पद के लालच में चपरासी से बाबू बनने दे दी , आख़िर पंडित जी का आर्शीवाद जो लेना था । बिना आशीर्वाद दिए भला प्रसाद कैसे मिल सकता है , वैसे पंडित जी की बुद्धिमता और वाकपटुता से सभी कर्मी अवगत तो हैं ही, की बिन धनलक्ष्मी के दर्शन बिना पंडित जी बात भी नहीं करते । वर्षों से अपने अधीन काम काज करवाने वाले चपरासियों को बाबू के पद का लालच देकर लाखों की चढ़ोत्तरी लेने वाले पंडित जी अकेले इस दक्षिणा के मालिक नहीं है इसमें इनके कुछ जजमान भी शामिल है जिनका बराबर का हिस्सा है। लाखों रुपये के चढ़ावे की खबर कुछ दिनों से एक भक्त को प्रसाद में कांटांमारी के कारण शहर में अपने साथ हुए नाइंसाफी को जंगल मे लगी आग की तरह फैला रहा है। जिस पर नगर के भगवान भी चुप हैं अब चुप भी क्यों न होंगे आख़िर भगवान को भोग तो पंडित जी ही लगाते हैं , पंडित जी को दंड देकर भला भूखा थोड़ी रहना है। लेकिन न्याय की बात की जाए तो पंडित जी ने भक्त को अंतिम तक के यह दिलासा दे रखा था कि आपको मेरा आशीर्वाद सर्वप्रथम मिलेगा और आप जल्दी ही बड़े बाबू बन जाओगे। लेकिन पंडित जी का मन आरक्षण नीति के तहत *”लेडीज़ फर्स्ट”* एवं लाख रुपये के उधारी चढ़ावे पर सीना पसीज गया , सब कसमें वादे भूलकर इन्हें आशीर्वाद दे डाला ।
भक्त से किया हुवा वादा पंडित जी ने आसानी से तोड़ दिया । भक्त ने भी पंडित जी का पोल सबके सामने खोल दिया। नगर में हो रही है अब खूब चर्चा , पंडित जी बिन पैसे के नहीं करते पदोन्नति पर चर्चा।

पंडित जी की यह करतूत देख भगवान भी चुप्पी साधे है क्योंकि चढ़ोत्तरी का भोग उन्होंने तो भी खाया है। जिनकी औकात नहीं है दान दक्षिणा करने की वो आज भी चपरासी बने हैं , जिनकी योग्यता नहीं वो आज बाबू बनके बैठे हैं । जिस पर नगर के भगवान भी आंख मूंद कर बैठे हैं । धन्य है प्रभु आपकी लीला जिसमें आपको को खुश करने भक्तों को करने पड़ते हैं अपना जेब ढीला । कहते हैं न्याय के देवता शनि की दृष्टि अगर भगवान को भी पड़ जाए तो बुरा वख्त शुरू हो जाता है । लेकिन यहाँ तो संकटमोचन ही शनि को दबाए बैठे हैं भला कौन कर सकता है इनका न्याय।

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