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 बिना सामान सप्लाई के करा दिया 6.37 करोड़ का पेमेंट  पूर्व कलेक्टर का कारनामा

 बिना सामान सप्लाई के करा दिया 6.37 करोड़ का पेमेंट
 पूर्व कलेक्टर का कारनामा
रायपुर। दंतेवाड़ा के पूर्व कलेक्टर सौरभ कुमार के खिलाफ सरकारी धन के दुरुपयोग का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। जांच में पता चला है, कलेक्टर रहने के दौरान उन्होंने डीएमएफ से मिले करोड़ों रुपयों का वारा-न्यारा कर दिया। पराकाष्ठा तो ये हो गई कि वहां के लाइवलीहूड कॉलेज में महिलाओं के आजीविका के लिए खोले गए शक्ति गारमेंट में बिना सामान सप्लाई किए ही सप्लायर को छह करोड़ 37 लाख रुपए का पेमेंट कर दिया। एक करोड़ 28 लाख तो भुगतान उन्होंने 11 नवंबर को किया। याने, विधानसभा चुनाव से एक रोज पहले। दंतेवाड़ा के लोकल मीडिया में जब सरकारी धन की डकैती की खबर आई तो डिप्टी कलेक्टर एलआर सिदार ने इसकी जांच की। जांच में बिना सामग्री सप्लाई के ही सप्लायर को पेमेंट करने का न केवल पर्दाफाश हुआ बल्कि डीएमएफ का पैसा कलेक्टर किस तरह लूटा रहे हैं, इस पर भी मुहर लग गया। रिपोर्ट में यह साफ तौर पर लिखा गया है कि शक्ति गारमेंट्स के लिए क्रय सामग्री एवं मशीनरी आपूर्ति में घोर लापरवाही बरती गई तथा वित्तीय प्रक्रिया का उल्लंघन किया गया।
दंतेवाड़ा कलेक्टर टीपी वर्मा ने सरकार को लेटर लिख कर इसके लिए तत्कालीन कलेक्टर सौरभ कुमार, तत्कालीन ज्वाइंट कलेक्टर जीएस राठौर एवं लाईवलीहूड कालेज के तत्कालीन प्रिंसिपल कृतेश हिरवानी को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने सिकरेट्री जीएडी से कहा है कि इन सभी के खिलाफ शासकीय धन का दुरूपयोग के मामले में अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। माइनिंग विभाग के एक शीर्ष अधिकारी ने दंतेवाड़ा कलेक्टर के लेटर की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि आईएएस अफसर का मामला है, इसकी जांच पर जीएडी ही निर्णय ले सकता है।
 राष्ट्रपति के बैनर पर 43 लाख खर्च राष्ट्रपति का प्रवास सरकारी होता है। सरकारी पैसे से उनके प्रवास की तैयारी होती है। लेकिन, दंतेवाड़ा ने 25 जुलाई 2018 को दंतेवाड़ा में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के प्रवास के लिए जो पैसे दिए, उसके अलावा कलेक्टर ने डीएमएफ से 43 लाख खर्च कर दिया। वो भी जानकर हैरान रह जाएंगे, बैनर, पोस्टर और वाहन किराये के नाम पर। कार्यादेश में कलेक्टर ने यही लिखा है। अब सवाल उठते हैं, दंतेवाड़ा जैसे छोटे जिला मुख्यालय में कितने का बैनर और पोस्टर लग गए होंगे।
अलबत्ता, राष्ट्रपति का नेताओं टाइप प्रचार तो होता नहीं।
चोरी से पहुंचाया सामान: कलेक्टर द्वारा शक्ति गारमेंट्स मामले में सरकार को लेटर लिखने और लाईवलीहूड कालेज के प्रभारी एवं डिप्टी कलेक्टर द्वारा आंध्रप्रदेश के सप्लायर को जेल भेजने की धमकी देने के बाद पिछले हफते कंपनी ने तीन ट्रक सामान दंतेवाड़ा पहुंचा दिया। यह भी पता चला है कि ट्रकों से माल उतारते समय लाइवलीहूड कैम्पस का सीसीटीवी बंद कर दिया गया। इससे नाराज होकर कालेज प्रबंधन ने सामग्री का एसेसमेंट नहीं किया। अभी डब्बे में सिलाई मशीनें यूं ही पड़ी हुई है। लोकल मीडिया में चोरी छिपे सामान सप्लाई की खबर सुर्खियों में रही।
 53 लाख पानी में

कलेक्टर ने आचार संहिता प्रभावशील होने से महीने भर पहले 30 अगस्त 2018 को दंतेवाड़ा के 289 स्कूलों में परमवीर चक्र विजेताओं की फोटो लगाने के लिए 53 लाख रुपए स्वीकृत किया। छोटे से पोस्टर में 21 परमवीर चक्र प्राप्त योद्धाओं की फोटो लगे हैं। पोस्टर के सबसे उपर कार्नर में एक तरफ तब के सीएम रमन सिंह और स्कूल शिक्षा मंत्री केदार कश्यप की फोटो और उनके संदेश हैं। पोस्टर जब तक छपकर आया तो तब तक राज्य में तख्ता पलट गया था। अब सवाल यह है कि 53 लाख के पोस्टर का क्या करें, जिसमें रमन और केदार मुस्करा रहे हैं। पोस्टर देखकर आप अंदाजा लगा लेंगे कि सरकारी पैसे पर डाका डालने की कवायद है। फोटो में ये भी नहीं लिखा है कि योद्धा राजस्थान का है या किसी और प्रदेश या जगह का। उससे बच्चे क्या शिक्षा लेंगे। आचार संहिता से एक महीने पहले छपने का आदेश दिया गया, इसके निहितार्थ साफ हैं।
 44 लाख का कर
दिया 88 लाख
विधानसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लगने से 29 दिन पहले दंतेवाड़ा कलेक्टर ने जिले में आदिवासियों को जागृत करने के नाम पर दो से पांच मिनट का फिल्म बनवाई। भोपाल और रायपुर के फार्म को 44 लाख का आर्डर दिया। इसके कुछ दिन बाद दोनों फर्मो द्वारा लागत खर्च बढऩे का हवाला देकर 44 लाख को दोगुना करके 88 लाख कर दिया गया। इसे नियमों का मुलम्मा चढ़ाने के लिए संवाद को भी शामिल किया गया। दोनों फर्म संवाद द्वारा इम्पेनल हैं। लेकिन, दिलचस्प यह है कि फिल्मों की पूरे सीडी जमा किए ही उनका भुगतान हो गया। जांच में कुछ सीडी ब्लैंक पाई गई है।

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