कवर्धा

 कल पर्वत की चोटी पर छत्तीसगढ़ पर्यटन ने लिया आकार, विदेशी, स्वेदशी और घरेलू पर्यटकों को ठहराने कबीरधाम जिले के सरोदा दादर में विशेष व्यवस्था, पर्यटन विकास के साथ-साथ युवाओं के लिए खुला रोजगार का द्वार

 कल पर्वत की चोटी पर छत्तीसगढ़ पर्यटन ने लिया आकार,

विदेशी, स्वेदशी और घरेलू पर्यटकों को ठहराने कबीरधाम जिले के सरोदा दादर में विशेष व्यवस्था,

पर्यटन विकास के साथ-साथ युवाओं के लिए खुला रोजगार का द्वार

कवर्धा, कबीर क्रांति। अगर आप अपनी फैमली के साथ छुट्टियों में सैर-सपाटे के शौकिन है या देश के प्रमुख प्रर्यटन स्थल जैसे दार्जलिंग, शिमला, कुल्लु-मनाली या फिर उंटी के शौक रखते है तो आपको उन भी पर्यटन स्थलों की अनुभूति छत्तीसगढ़ में मिल सकती है। छत्तीसगढ़ के मैकल पर्वत श्रृंख्ला की चोटी चिल्फी के सरोदा दादर में शिमला जैसे ठंड की अनुभूति और आनंद मिल सकता है। दरअसल संपूर्ण कबीरधाम की वादियां मैकल पर्वल की विशाल श्रृंख्ला की तलहटी पर बसा हुआ है। इस हिस्से को सतपुड़ा के घने जंगल का क्षेत्र भी कहा जाता है। यह तस्वीर उसी विशाल मैकल पर्वत श्रृंख्ला की एक हिस्से की है, जहां पर्यटन संभावना को आकार दिया गया है।
छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल द्वारा कबीरधाम जिले के मैकल पर्वत के चिल्फी घाटी के उपर ग्राम सरोदा दादर में विदेशी, स्वदेशी और घरेलू पर्यटकों को ठहराने के लिए सुन्दर-सुन्दूर कॉटेज बनाए गए है। सरोधा दादर ग्राम में छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड के द्वारा लगभग 11 एकड़ की भूमि पर एक बैगा एथनिक रिसॉर्ट का निर्माण कराया गया है। इसकी लागत  13 करोड रूपए है। इस रिसॉर्ट में पर्यटकों के रुकने के लिए इको लाग हट्स (खुडन कोटेजेस) और खानपान के लिए ग्रामीण परिवेश में कैफेटेरिया बनाया गया है। यहाँ स्थानीय ग्रामीण शैली में 10 आर्टिजन हट्स, एक हस्तशिल्प विक्रय सेंटर, स्थानीय जनजातियों के दैनिक जीवन में उपयोग में आने वाली वस्तुएँ, औजार आदि के प्रदर्शन के लिए एक इंटरप्रिटेशन सेंटर बनाया गया है। सांस्कृतिक कायक्रमों के लिए मुक्ताकाश मंच का निर्माण किया गया है।
इसके अतिरिक्त एडवेंचर टूरिज्म के लिए आने वाले पर्यटकों को ध्यान में रखते हुए टेंट प्लेटफॉर्म भी बनाए गए है। पर्यटक यहाँ अपने टेंट लगाकर रूक सकते हैं। पर्यटकों और बच्चों के लिए एडवेंचर उपकरण भी लगाए गए हैं।
कबीरधाम छत्तीसगढ़ पर्यटन का एक अभिन्न अंग है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा कबीरधाम जिले में पर्यटन के विकास और विस्तार भी किया गया है। विदेशी और घरेलू पर्यटकों की सुख-सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए उनके ठहरने के लिए मैकल पवर्त माला (चिल्फी घाटी) की सरोधा दादर में (बैगा) कॉटेज बनाए गए है। भोरमदेव मंदिर के समीप ही जहां से भोरमदेव अभयारण की शुरूआत होती है उस शुरूआती हिस्से में पर्यटक विश्राम गृह (नागमोरी) बनाए गए है।
सरोधा दादर बैगा एथनिक रिसॉर्ट कबीरधाम जिला मुख्यालय से लगभग 32 किमी की दूरी पर चिल्फी घाटी की पहाड़ी में बैगा ग्राम सरोधा दादर स्थित है । यह छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश की सीमा के निकट है। इस क्षेत्र में बैगा जनजाति निवासरत हैं। यहाँ पर्यटन की दृष्टि से उपयुक्त ग्रामीण परिवेश और इको पर्यटन की दृष्टि से प्राकृतिक स्थल पर्यटकों के लिए उपलब्ध है। टूरिस्ट सर्किट विकसित करने के उद्देश्य से केन्द्र के स्वदेश दर्शन योजना प्रारंभ की गयी थी।
  सरोदा दादर की खुबसूरती और सुविधाएं एक नजर में

सरोदा दादर पर्यटक स्थल अथवा रिसॉर्ट का मुख्य आकर्षण यहाँ का प्रवेश द्वार है जिसे स्थापत्य कला के अनुरूप आकर्षक रूप दिया गया है। इस रिसॉर्ट में पर्यटकों के लिये सुंदर लैंडस्केपिंग, फलों और फूलों के पेड़ पौधे, साइनेजेपर, पार्किंग, सोलर प्रकाशीकरण, गार्ड रूम, ओवरहेड वाटर टैक, डस्ट बिन्स आदि बनाए गए हैं। इस रिसॉर्ट के निर्माण से कबीरधाम के निकट पर्यटकों को सुरम्य प्राकृतिक वातावरण में रूकने के लिए अच्छी सुविधा उपलब्ध हो गयी है। मैकल पर्वत श्रृंख्ला की चिल्फी घाटी छत्तीसगढ़ का एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है। ठंड के मौसम में यहाँ मैदानों में घास पर बर्फ की परत जम जाती है। पर्यटक यहीं रूककर छत्तीसगढ़ के ग्रामीण परिवेश तथा बैगा जनजाति की संस्कृति से रूबरू हो सकेंगे।
 
 राजधानी से महज 120 किलो मीटर की दूरी पर स्थित है कबीरधाम

कबीरधाम जिला छत्तीसगसढ़ की राजधानी रायपुर (अंतराष्ट्रीय हवाई मार्ग) से महज 120 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां आने के लिए वाताअनुकुलित नॉन स्टॉप बस सेवाए उपलब्ध है, जो महज 2 घटे 30 मीनट के कम समय में रायुपर से कवर्धा पहुंचा देती है। कवर्धा शहर में स्थनीय स्तर पर ठहने के लिए छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के रिसॉट के अलावा बहुत सस्ते दर पर हॉटल उपलब्ध है।

 कबीरधाम जिले के प्रमुख पर्यटन स्थल

कबीरधाम जिले में पर्यटन की दृष्टि से ऐतिहासिक, पुरातत्विक, धर्मिक एवं पर्यटन महत्व के स्थल (1) भोरमदेव मंदिर ( 2) मड़वा महल (3) छेरकी मंदिर (4) चरण तीरथ (5) पुरात्तव महत्व के स्थल पचराही (6) बकेला, प्राकृतिक सौदर्य से अभिभूत प्रदेश की सबसे लम्बी चिल्फी घाटी जिसे नागमोरी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा इसलिये क्योकि इस घाटी की आकार नाग (सर्प) के सामान है। (7) भोरमदेव अभ्यारण (8) हिल स्टेशन (चार) है जहाँ से मैकल पर्वत माला की श्रृंखला  देखी जा सकती है। इसके अलावा सहसपुर लोहारा में घटी के समान दिखाई देने वाली ऐतिहासिक बावली कुंआ, (9) रामचुआ मन्दिर, यहां ऐसी मान्यता है नर्मदा नदी के जल का दर्शन होता है। (10) डोंगरिया का जालेश्वर महादेव (11) जिले मे पांच मध्यम जलाशय है जिसमें सरोधा डेम, सुतियापाठ जलाशय, क्षीरपानी जलाशय, कर्रानाला बैराज और बैहराखार जलाशय है। इन सभी पर्यटन स्थलों के देखने और लुफ्त उठाने के लिए छुट्टियों में अपने परिवार को कम से कम 2 से 3 तीन का समय दिया जा सकता है।

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