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डी एन योगी,कवर्धा,,आदि काल से इन्शान गुलामी की जंजीरों से मुक्ति की कोशिश कर रहा है हर युग में आम इंसान गुलामी की बेड़ियां तोड़ नही पाया वो सिलसिला आज भी किसी न किसी रूप में जारी है हम स्वतन्त्र होते हुए भी अनावश्यक बन्धन से बंधे हुए है एक जमाना था सतयुग से कलयुग तक विश्व अलग अलग राज्यों में बट्के अनेकों नाम लिए अपनी पहचान ध्वज के माध्यम से कायम रखता था तब हम राजा के गुलाम हुआ करते थे तब हमारा शासक राजा ही हुआ करता था,राजाओं का वंश चला करता था जिसमे राजा राजवंश के वंशज ही चुने जाते थे जिसे दरबार के खास लोग ही तय करते थे प्रजा राजतिलक की गवाह हुआ करती थी तब राज्य का महामंत्री नए राजा का फरमान जारी करता था जिसका पालन प्रजा को करना होता था
आमआदमी की स्वतंत्रता राज दरबार के बंधन में कैद कर लिया जाता था इसके विपरीत आज हम राजकीय परम्पराओं से मुक्त हैं बनते बिगड़ते परिस्थितियों के चलते हमने आजादी हासिल कर लिया आज हमे अपना शासक चुनने का अधिकार मिल गया लेकिन क्या हम आज पूरी तरह आजाद हैं ,,कदापि नही आज पुनः हम जाती,नीति,धर्म,और विचारों के जंजीरों में जकड़ते जा रहे हैं इसके जम्मेदार कौन हैं जिनके हाथो हम राष्ट्र सौपते हैं वही हमको बार बार उलझा रहे हैं
पूरा विश्व इसी नीति पर चल रहा है अकेले भारत की बात नही है
आज अलग अलग सिम्बाल के माध्यम से सत्ता हथियाने की होड़ लगी है देश को पुनः जाती धर्म और विचारों में विभक्त कर दिया गया है आज फिर हम अंतर कलह में फस चुके हैं हम किसी एक सिम्बाल के गुलाम बनते जा रहे हैं जिसमे इन्शानियत के लिये कोई जगह नही है हमारे धार्मिक कट्टरता को कुरेद कर राज करने का माध्यम बनाया जा रहा है जो मानवता के हक में ठीक नही कहा जा सकतावर्तमान परिवेश में कोरोना एक बड़ा संकट है जिससे पूरा विश्व एक जुट हो कर लड़ रहा है राष्ट्र नेता अनर्गल बयान बाजी से बचे कोरोना ने दो बड़ी चिजें दी है दुनिया को एक मौत ,दूसरा मानवता,लेकिन इस्लाम को बदनाम करने वाला पाकिस्तान आज भी नीचता के चरम पर है पाकिस्तान के हुक्मरान गन्दे खून से पैदा होते हैं